For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सोना पड़ा है वहां,अच्छी खुशखबरी है 
थकते चलते जाना कैसी मज़बूरी है ।
-  -  -  -  -  -  -  -  -  -  -  -  -  -  -
अगर हाथ न आये फल लोमड़ी के,
फल खट्टे है कहना ये मज़बूरी है ।
-   -  -  -  -  -  -  -  -  -  -  -  -  - -
हैसियत नहीं कान्वेंट में पढ़ाने की,    
देखादेखी दाखिला दिलाना मज़बूरी है। 
-  -  -  -  -  -  -  -  -  -  -  -  -  - --
नहीं उठा सकता मै गाडी का खर्च, 
दहेज़ में बिटियाँ को देना मज़बूरी है ।
-  -  - - -  -  -  -  -  -  -  -  -  - -  -
घर की दहलीज पार कभी गया न बाहर,
अस्थियाँ लेकर हरिद्वार जाना मजबूरी है ।
-  - -  -  -  -  -  -  -  -  -  -  -  -  -  -
भूत के भय से थर थर कांपते होटों से, 
संकट मोचक को याद करना मज़बूरी है ।
- -  -  -  -  - -  -  -  -  -  -  -  -  -  - -
जाते प्राण मोह माया, प्यार में अटके,
पित्रदेव बन भटकते रहना मज़बूरी है।
-  -  -  -  -  -  -  -  -   -  -  -  -  -  -  -
जब तलक टकराव है अपने 2 अहम का 
दोनो के बीच फ़ासला भी एक मज़बूरी है। 
-  -  -   -  -  -  -  -  -  -  -  -  -  -   - - -
अकूद सम्पदा जुटाली पाँच वर्षो में ही,
भ्रष्टाचार विरोधी भाषण नेताकी मज़बूरी है।
-  -  - -  - -  -  -  -  -  -  -  -  -  -  -  - - -
क्या क्या बतावे, चाहत नहीं बुढ़ापेमें जीना,
कर्मों का भोग भोगते रहना भी मज़बूरी है ।
- - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - 
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला 

Views: 496

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 5, 2013 at 11:07am

आदमी के जीवन में मजबूरियां अनगिनत है और सदा से ही चली आ रही है आदरणीय बागी जी जैसे द्वापर में धर्मराज चौसर खेलना नहीं चाहते थे, फिर भी खेलना उनकी मज़बूरी थी । रचना की सराहना कर उत्साहित करने के लिए हार्दिक आभार आपका आदरणीय 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 4, 2013 at 8:31pm

वाह वाह, गिन गिन कर मज़बूरी का वर्णन किया है, बहुत ही सामयिक रचना , बधाई आदरणीय लडिवाला जी |

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 4, 2013 at 4:57pm

बिलकुल ठीक कहा आपने डॉ प्राची जी, एक ओर मजबूरियां है जो पीछा नहीं छोडती दूसरी ओर

आम आदमी सकून की तलाश में भटकता है । वास्तव में इसका कारण अज्ञानता है । सकूँ पाने के

लिए तो अध्यात्म की ओर जाना होगा, जिसकी ओर प्रेरित करने के लिए आपने हम जैसो के लिए

(खास तौरसे मुझ जैसे 60 वसंत पार) अध्यात्मक चिंतन मनन स्तम्भ प्रारंभ किया है ।

रचना पसंद करने के लिए हार्दिक बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 4, 2013 at 4:41pm

मजबूरियां ढूंढ ढूंढ कर लाये हैं इस रचना में आप आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद लड़ीवाला जी ...पर इन मजबूरियों के बिना भी आम आदमी को सुकून कहाँ.

सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 4, 2013 at 3:59pm

आपकी त्प्पनी दर्शाती है कि आप सकारात्मक विचार पसंद करते है।रचना पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार डॉ अजय खरे जी 

Comment by Dr.Ajay Khare on February 4, 2013 at 2:47pm

adarniy jadiwala ji aap nisandeh achha sochte he badia likhte he aap se prena milti he badhai

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 4, 2013 at 1:59pm

आपको रचना पसाद आई, मेरा प्रयास सार्थक हुआ, बहुत आभार आपका श्री राज शिरोमणि पाठकजी एवं मीना पाठकजी 

Comment by Meena Pathak on February 4, 2013 at 1:46pm
क्या क्या बतावे, चाहत नहीं बुढ़ापेमें जीना,
कर्मों का भोग भोगते रहना भी मज़बूरी है ।........ बहुत सुन्दर ... बधाई 
Comment by ram shiromani pathak on February 4, 2013 at 1:16pm

वाह वाह !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

हार्दिक  बधाई सर................

नहीं उठा सकता मै गाडी का खर्च, 
दहेज़ में बिटियाँ को देना मज़बूरी है ।
-  -  - - -  -  -  -  -  -  -  -  -  - -  -
घर की दहलीज पार कभी गया न बाहर,

अस्थियाँ लेकर हरिद्वार जाना मजबूरी है !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर साहब,  इस बात को आप से अच्छा और कौन समझ सकता है कि ग़ज़ल एक ऐसी विधा है जिसकी…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह, हर शेर क्या ही कमाल का कथ्य शाब्दिक कर रहा है, आदरणीय नीलेश भाई. ंअतले ने ही मन मोह…"
7 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"कैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास ।  .. क्या-क्यों-कैसे सोच कर, यदि हो…"
8 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"  आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंद की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
9 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"  आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, वाह ! उम्दा ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
9 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सभी दोहे सुन्दर रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
16 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service