For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मान है सम्मान गर दौलत नगद है .. हद है,
लोभ बिन इंसान कब करता मदद है .. हद है,

हाल मैं ससुराल का कैसे बताऊँ सखियों,
सास बैरी है बहुत तीखी ननद है .. हद है,

स्वाद चखते थे कभी हम स्नेह की बातों का,
आज जहरीली जुबां कड़वा शबद है .. हद है,

कौन अपना है पराया हमे क्या मालुम,
प्रेम का रस जान लेवा इक शहद है .. हद है,

भूल मुझको जो गई यादों के हर लम्हों से,
जिंदगी उसके की ख्यालों की सुखद है .. हद है.

Views: 483

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 13, 2013 at 4:17pm

भाव बढ़िया 

बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 13, 2013 at 3:26pm

साफ़ कहूँ ? मन प्रसन्न नहीं हुआ, अरुन अनन्तजी. बुरा न लगे, ग़ज़ल के अश’आर और मशक्कत चाह रहे थे. आपने ज़ल्दबाज़ी कर दी.

२१२२ २१२२ २१२२ २२  के वज़्न पर मिसरे कहे. तक्तीह करें. कुछ इधर-उधर हो गये हैं. दूसरे, व्याकरण के अनुसार ’हर’ या ’प्रत्येक’ के बाद एकवचन की संज्ञा आती है. इस लिहाज़ से आखिरी शेर के उला को देख लें.

स्वाद चखते थे कभी हम स्नेह की बातों का,
आज जहरीली जुबां कड़वा शबद है .. हद है,

इस शेर के लिए बधाई.. .

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 13, 2013 at 10:58am

आदरणीय मित्रवर संदीप जी, आपकी वाह वाह दिल को हार्दिक प्रसन्न करती है. आभार

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 13, 2013 at 10:57am

आदरणीया बागी सर प्रणाम, इस मिसरे में है शब्द मिसिंग है, बाकी के शे'र आपको पसंद आये मेरे लिए सुखद की बाद है.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on January 13, 2013 at 10:00am

हाल मैं ससुराल का कैसे बताऊँ सखियों,
सास बैरी है बहुत तीखी ननद है .. हद है,

वाह वाह वाह
बधाई क़ुबूल करिए
आदरणीय गणेश सर जी की बातों से सहमत हूँ


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 12, 2013 at 7:57pm

//कौन अपना है पराया---- हमे क्या मालुम//

इस मिसरा में कुछ मिसिंग है, क्या कहते हैं ?

//जिंदगी उसके की ख्यालों की सुखद है .. हद है.//

इस मिसरा में बात कुछ निकल नहीं रही |

बाकी सभी शेर मुझे अच्छे लगें, बधाई स्वीकार करें |

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 12, 2013 at 3:53pm

बसंत जी आभार, सादर

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 12, 2013 at 3:53pm

आदरणीय लक्ष्मण सर आपको रचना पसंद आई, मेरे लिए हर्ष की बात है आपका आशीष मिला आभार.सादर

Comment by बसंत नेमा on January 12, 2013 at 2:40pm

bahut badiyaa arunji

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 12, 2013 at 2:23pm
वाह अरुण भैया हद है, जो लिखा पसंद है ,
 हद है हर बात में हद है, बड़ी जद्दोजहद है 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"जिसको देखो वही अदावत मेंकौन खुश है भला सियासत में।१।*घिस गयी जूतियाँ थमीं साँसेंकेस जिसका गया…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"सादर अभिवादन आदरणीय।"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय उस्ताद-ए-मुहतरम साहिब को सादर अभिवादन "
5 hours ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"सबका स्वागत है ।"
6 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . रोटी

दोहा पंचक. . . रोटीसूझ-बूझ ईमान सब, कहने की है बात । क्षुधित उदर के सामने , फीके सब जज्बात ।।मुफलिस…See More
11 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा पंचक - राम नाम
"वाह  आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही सुन्दर और सार्थक दोहों का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
दिनेश कुमार posted a blog post

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार ( गीत )

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार( सुधार और इस्लाह की गुज़ारिश के साथ, सुधिजनों के…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

दोहा पंचक - राम नाम

तनमन कुन्दन कर रही, राम नाम की आँच।बिना राम  के  नाम  के,  कुन्दन-हीरा  काँच।१।*तपते दुख की  धूप …See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service