For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दानव का किरदार ले गए

जीने के आसार ले गए,

जीवन का आधार ले गए,

भूखों की पतवार ले गए,

लूटपाट घरबार ले गए,

छीनछान व्यापार ले गए,

दौलत देश के पार ले गए,

खुशियों के बाज़ार ले गए,

औषधि और उपचार ले गए,

सारा आदर सत्कार ले गए,

प्रेम भाव त्यौहार ले गए,

पेट्रोल बढ़ाया कार ले गए,

गाड़ी मेरी मार ले गए,

खुद्दारी खुद्दार ले गए,

दानव का किरदार ले गए.

Views: 503

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 10, 2013 at 4:55pm

आभार आदरणीय कुशवाहा सर

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 10, 2013 at 4:39pm

रचना पढ़ी है सुन्दर 

मेरा प्यार ले गए 

पैसा था जेब अंदर 

सामान  उधार ले गए 

बधाई 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 5, 2013 at 11:09am

आदरणीय अशोक सर नमस्कार, आपने शानदार अंदाज में तुक लगाया है, हौंसला बढ़ गया हार्दिक आभार.

Comment by Ashok Kumar Raktale on January 5, 2013 at 8:21am

पेट्रोल बढ़ाया कार ले गए,

गाड़ी मेरी मार ले गए..............वाह! सुन्दर व्यंग.

हार्दिक बधाई स्वीकारें भाई अरुण जी.

एक तुक मेरी भी,,,,,

नकद माँगा उधार ले गये,

एक देकर चार ले गये,

बरसों का था प्यार ले गये,

फिर तो वो हरबार ले गये.

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 4, 2013 at 11:21am

आभार मित्रवर अमि तेष

Comment by अमि तेष on January 4, 2013 at 10:32am

badiya ..............

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 3, 2013 at 6:04pm

आदरणीय लड़ीवाल सर आपको रचना पसंद आई मेरा लेखन कार्य सफल हुआ, आभार.

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 3, 2013 at 6:03pm

धन्यवाद आदरणीय निकोर सर

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 3, 2013 at 6:03pm

आदरणीया सुमन जी आपको रचना पसंद आई तहे दिल से आभार.

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 3, 2013 at 6:01pm

मित्रवर संदीप जी आभार आपको शब्दों के संकलन अच्छा लगा.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service