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वाह रॆ ! कानून बनानॆ वालॊ

वाह रॆ !
कानून
कानून बनानॆ वालॊ
और
कानून के रखवालॊ
अपनी आपनी पगड़ी सँभालॊ,
राज्य सभा मॆं
पचास प्रतिशत का आरक्षण
और
चौराहॆ पर आबरू का भक्षण,

कहनॆ कॊ अधिकार दियॆ हैं सम,
मॆरॆ जन्म पर छा जाता है मातम,

और ज्यॊं- ज्यॊं मॆरी उम्र बढ़नॆ लगती है
परिवार पर नई आफ़त चढ़नॆ लगती है,

घर की चौखट दायरा समेटनॆ लगती है,
जब बॆटी अपना दुपट्टा लपॆटनॆ लगती है,

मॆरी किस्मत चूल्हा चौंका बर्तन रॊटी,
ऊपर सॆ घर भर की सब खरी -खॊटी,

घर सॆ बाहर निकली तॊ आबरू तार तार,
वहशी -दरिन्दॊं की हवस की मै शिकार,

आज जिस कृत्य सॆ शर्म भी शर्मसार है,
जहाँ नारी का सुरक्षित जीना दुस्वार है,

हॊ रहा सरॆ-आम अपहरण बलात्कार है,
ऎसॆ समाज पर मैं थूकती हूँ, धिक्कार है,

आपसॆ गुज़ारिश है बॆटियॊं कॊ संस्कार दीजियॆ
मगर चूड़ियॊं की जगह हाँथॊं मॆं तलवार दीजियॆ,

मुझॆ इस समाज मॆं,बराबर का अधिकार चाहियॆ,
मॆरॆ आँसुऒं का मॆरी चीखॊं का प्रतिकार चाहियॆ,

काश,,कॊई भाई मॆरी राखी का कर्ज उतार दॆ !!
दरिन्दॊं कॊ मॆरी आँखॊं कॆ सामनॆ गॊली मार दॆ !!

कवि- राज बुन्दॆली,,,,,,,,
२४/१२/२०१२

Views: 675

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Comment by कवि - राज बुन्दॆली on December 27, 2012 at 12:05am

अमि तेष ,,,जी,,,,, हृदय से आभार आपका,,,,,,,,,

Comment by अमि तेष on December 26, 2012 at 11:33pm

वाह........

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on December 26, 2012 at 5:45pm

MAHIMA SHREE ,,,जी,,,,, हृदय से आभार आपका,,,,,,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on December 26, 2012 at 5:44pm

vijay nikore ,,,जी,,,,, हृदय से आभार आपका,,,,,,,,,

Comment by MAHIMA SHREE on December 26, 2012 at 5:08pm

आपसॆ गुज़ारिश है बॆटियॊं कॊ संस्कार दीजियॆ
मगर चूड़ियॊं की जगह हाँथॊं मॆं तलवार दीजियॆ,

मुझॆ इस समाज मॆं,बराबर का अधिकार चाहियॆ,
मॆरॆ आँसुऒं का मॆरी चीखॊं का प्रतिकार चाहियॆ,नमस्कार राज जी .. बहुत बढ़िया ... आपकी की रचना से आक्रोशित मन को थोड़ी राहत मिली ...बहुत-2 बधाइयाँ

Comment by vijay nikore on December 26, 2012 at 4:58pm

आपसॆ गुज़ारिश है बॆटियॊं कॊ संस्कार दीजियॆ
मगर चूड़ियॊं की जगह हाँथॊं मॆं तलवार दीजियॆ,

 

धन्यवाद यह कहने के लिए!

विजय निकोर

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on December 26, 2012 at 12:14pm

rajesh kumari ,,,जी,,,,, हृदय से आभार आपका,,,,,,,,,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 25, 2012 at 9:15pm

बहुत जबरदस्त ओज पूर्ण भाव बहुत सुन्दर सार्थक रचना आज की मांग को पूरा करती हुई 

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on December 25, 2012 at 7:23pm

Er. Ganesh Jee "Bagi" जी हृदय से आभार आपका,,,,,,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on December 25, 2012 at 7:23pm

Laxman Prasad Ladiwala जी हृदय से आभार आपका,,,,,,,,,

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