For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कृषक  

---------

कृषि प्रधान भारत अपना फसलों की बहार है 

भूख कुपोषण जन है मरते कैसा पालन हार है 

खेत से खलिहान तक फैली  जिसकी सरकार है

उसका तो बस नाम मात्र  ईश्वर पालन हार है  

काट रहा निश दिन अपने स्वेदाम्बू लिए माथ है 

हाथ न आये लाभ उसे कछु भूख मात्र साथ है 

काढ़े कर्ज उत्पादन करते सेठ भरे तिजोरी है 

बच्चे उसके भूखे  मरते शासन की कमजोरी है 

रिकार्ड उत्पादन करते भरते अन्न का  भण्डार है 

अनीती की नीत बनाती अंधी ये सरकार है 

घूमती कृषकाय तन ले पल पल उखड़े श्वास है 

बिलख रहे बच्चे भूखे तन पे न उनके गात है 

सड़  रहा अनाज बाहर दाने दाने की आस है 

करेगा कोई जरूर जतन मन में ये विश्वास है 

भूख गरीबी बेईमानी से न कोई रार है 

झेल रही जनता कैसे कैसी ये सरकार है 

प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा

१९-१२-२०१२  

 

Views: 578

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on February 19, 2013 at 11:27am

आदरणीय 

किशन जी 

जैसा हूँ आपके सामने हूँ. 

आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on February 19, 2013 at 11:25am

aadarniy ashok jii 

saadar abhivaadan 

स्नेह हेतु आभार 

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 25, 2012 at 7:39pm

कृषकों की पीड़ा को उजागर करती सुन्दर रचना आदरणीय प्रदीप जी सादर बधाई स्वीकारें.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 22, 2012 at 1:57pm

आदरणीया सीमा जी, 

सादर अभिवादन 

आपने भावों को सराहा 

आभार 

Comment by seema agrawal on December 21, 2012 at 7:12pm

भारत एक कृषि प्रधान देश है पर पता नहीं कब हम इसे कृषक प्रधान बनता देखेंगे  कर्जे के बोझ तले दबा करता किसान शायद सरकार और समाज को नहीं दीखता ..किसान तो क्या उसकी खून-पसीने से उपजी फसल भी नहीं दिखती....  खरीदी के लिए ,भंडारण के लिए,उचित दाम देने के लिए  किये गए अपर्याप्त प्रबंध सब उसके किये पर पानी फेर देते हैं ...एक संवेदनशील रचना के लिए बधाई प्रदीप जी 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 21, 2012 at 4:21pm

प्रिय अरुण जी , सस्नेह 

आभार. 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 21, 2012 at 4:20pm

आदरणीय लड़ीवाला जी सादर 

रचना सफल हुई आपके हस्ताक्षर पा के. आभार.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 21, 2012 at 4:19pm

आदरणीया सुमन जी, सादर 

सराहना, भाव हेतु आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 21, 2012 at 4:18pm

आदरणीय गुरुदेव सौरभ जी, 

सादर अभिवादन. 

कलेजे को ठंडक मिली.

आभार. 

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 21, 2012 at 11:23am

आदरणीय सर वर्तमान परिस्थिति का सटीक वर्णन किया है बधाई स्वीकारें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
2 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service