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अंधी जीवन दौड़ में, व्यथा करो न होड़        
ज्यादा धन की दौड़ में,है तनाव का मौड़ ।
 
लूट लूट कर घर भरा, जोड़े लाख करोड़,
साथ न वह ले जा सका,गया यही पर छोड़
  
घातक तनाव जो करे, जल्द बने अब प्रौड़  
प्रौड़ हो फिर बुढा जाय, बचे न कोई तौड़ । 

एक दूजे से हौड में, दुर्घटना घट जाय,
आपाधापी छोड़ दे, वर्ना फिर पछताय । 
 
अवसर के अनुकूल जो,करे प्रगति की होड़ 
लक्ष्मण उसकी राह में, मिले भले का मोड़ ।
 
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला 

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 15, 2012 at 2:32pm

अनुकूल सुझावों के लिए हार्दिक आभार आपका आदरणीया राजेश कुमारी जी 

आपके स्नेह/सराहना से प्रोत्साहन मिलता है 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 15, 2012 at 1:20pm
अंधी जीवन दौड़ में, व्यथा करो न होड़ ----सम  चरण में 10 मात्राएँ हो रही हैं        
ज्यादा धन की दौड़ में,है तनाव का मौड़ ।
 
लूट लूट कर घर भरा, जोड़े लाख करोड़,
साथ न वह ले जा सका,गया यही पर छोड़-----साथ न वह ले जा सका में गेयता प्रभावित हो रही है ,साथ कौन ले जा सका कर के देखिये 
  
घातक तनाव जो करे, जल्द बने अब प्रौड़  ------विषम   चरण में जगण अर्थात 121(तनाव )वर्जित है 
प्रौड़ हो फिर बुढा जाय, बचे न कोई तौड़ ।----विषम चरण के अंत में जाय कैसे ?? 

एक दूजे से हौड में, दुर्घटना घट जाय,---एक की जगह इक करदें तो मात्राएँ ठीक हो जायेंगे ए में दो मात्राएँ गिनी जाती हैं इस लिए 14 हो रही हैं 
आपाधापी छोड़ दे, वर्ना फिर पछताय । 
 
अवसर के अनुकूल जो,करे प्रगति की होड़ 
लक्ष्मण उसकी राह में, मिले भले का मोड़ ।

 बहुत उत्तम भाव पूर्ण दोहे हैं आदरणीय लक्ष्मण जी बस थोड़े से सुधार की अपेक्षा है 

Comment by Dr.Ajay Khare on December 14, 2012 at 4:24pm

teri sari se meri saari safed kyo pratispardha par aapne badia likha he badhai ke aap hakdaar he

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 14, 2012 at 2:13pm

एडमिन महोदय जी, क्रपया दुसरे दोहे के की पहली पंक्ति के सम चरण में करोड़ से पहले कर गलती से छप गया, जिसे हटाने की कृपा करे । सादर 

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