सुनो!
सूरज में आग है या रोशनी?
चांद में दाग है या शीतलता?
पानी तरल है या सरल?
सागर गहरा है या विशाल?
फूल में कांटे है या खुशबू?
कीचड़ में गंदगी है या कमल?
दुनिया में सुख ज्यादा है या दुख?
जीने के लिए दिल की सुने या दिमाग की?
प्रेम ताकत है या कमजोरी?
इन सारे सवालों का जवाब आधारित है
परिस्थितियों से बनी हमारी सोच पर,..
सकारात्मक और नकारात्मक सोच हर बात के मायने बदल देती है,..
है ना!
इसलिए
तुम यूं न करो फासलों की बातें,
तुम बसे हो मेरी सांसों में,..
हमारे बीच मीलों की दूरी नही प्यार का मजबूत पुल है,..
बस तुम जरा सा नजरिया बदलो
देखना सब कुछ बदल जाएगा,.....
प्रीति सुराना
Comment
बस तुम जरा सा नजरिया बदलो
देखना सब कुछ बदल जाएगा,.....
sadhuvad.
MAHIMA SHREE ji aabhar
हमारे बीच मीलों की दूरी नही प्यार का मजबूत पुल है,..
बस तुम जरा सा नजरिया बदलो
देखना सब कुछ बदल जाएगा,.......
वाह !! क्या बात है ... सकरात्मक सोच को खूबसूरती से धारती रचना के लिए आदरणीया प्रीति जी .. मेरी बधाई स्वीकार करे /
dhanywad Er. Ganesh Jee "Bagi"ji seema agrawalji
//बस तुम जरा सा नजरिया बदलो
देखना सब कुछ बदल जाएगा,....//
कविता जब यथार्थ कह रही हो तो दिल को छूती है, बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति बधाई हो |
इस सकारात्मक सोच को यूं ही प्रकाश की किरणों की तरह फैलाती रहिये बधाई प्रीती जी
dhanywad लतीफ़ ख़ान ji and अरुन शर्मा "अनन्त" ji,..:)
प्रीति जी ,, मनमोहक विचारों से गुंथे इस पुष्प-गुच्छ के लिए आप को कोटिश: बधाई ,,, मेरा एक शेर इसी नज़रिये की बानगी है ,,,,,,,,
दिल में ग़म हो भी तो यारों मुस्कुराना चाहिए .
मुस्कुराने के लिए भी क्या बहाना चाहिए .. पुन: बधाई ,,,
प्रीति सुराना जी वाकई सब कुछ हमारी सोंच पर निर्भर करता है. सुन्दर प्रस्तुति बधाई स्वीकारें
जाकी रही भावना जैसी - प्रभु मूरति देखी तिन तैसी.
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