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पत्नी का खतरनाक बाउंसर (हास्य व्यंग

सचिन तेंदुलकर बोंले -
पत्नी का गुस्सा तेज है
पत्नी के आगे निस्तेज है
हमने कहाँ पत्नी के आगे
सभी पति निस्तेज है
वे बोंले -
बाँल से भी खतरनाक है
बेलन बाँल से क्या कम
खरतनाक है ?
बाँल तो दूर से आती है
बेलन तो हाथ में रखती है ।
पत्नी के बाउंसर से -
हर पति डरता है,
कमाई ला झट से -
हाथ में धर देता है ।
फिर जरुरत पड़ने पर
हाथ फैलाना पड़ता है ।
यह कोई नयी बात नहीं है
हर युग में होता आया है
कृष्ण ने राधिका तो
कितनी बार रिझाया है ।
मीडिया ने इसको-
क्यों सुर्ख़ियों में सजाया है
अपने तो यह समाचार
कुछ समझ नहीं आया है ।
मन अपने मन की
कर नहीं सकता है,
सुनिए जी कहकर -
आदेश की प्रतीक्षा में
समय व्यतीत करता है ।
राधा की पांति पाने को-
आतुर मन मोहन भी -
पलक पाँवडे बिछाए
प्रतीक्षा में ही रहता है ।

- लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला, जयपुर

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Comment

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 27, 2012 at 9:02am

हास्य व्यंग में व्यक्त कडवी सच्चाई से आपकी सहमती के लिए हार्दिक आभार आदरेया राजेश कुमारी जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 27, 2012 at 9:00am

आपको रचना में व्यक्त भाव पसंद आये इसके लिए हार्दिक आभार श्री अशोक रक्ताले जी

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 27, 2012 at 8:58am

प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए हार्दिक धन्यवाद अखलेश मिश्रा जी 

Comment by Ashok Kumar Raktale on November 26, 2012 at 9:12pm

आदरणीय लड़ीवाला जी 

                       सादर, सुन्दर व्यंग रचना.बधाई स्वीकारें.यह भी सही है कि समाचार चेनलों ने इसे बेवजह तूल दिया था.


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Comment by rajesh kumari on November 26, 2012 at 8:37pm

हाहाहा पत्नी के बेलन से सब डरते हैं !!!

Comment by akhilesh mishra on November 26, 2012 at 4:27pm

साहब तेंदुलकर को जनता से भी डरना चाहिए ।सुंदर कविता बधाई स्वीकारें ।

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