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चुगली

चुगली


कमजोरी की निशानी है,
कामचोरी की पहचान है,
कटुता,द्वेष छिपे हैं इसमें,
स्वार्थ की बहन है चुगली ।

अपने दोषों को छिपाकर,
बनावटीपन व्यवहार लाकर,
दूसरों को नीचा दिखाने का,
एक तरीका है, चुगली ।

बिना मेहनत फल की इच्छा का,
दूसरों की मेहनत का फल खाने का,
कायरता के साथ वीरता दिखाने का,
एक डरपोक का साहसी गुण है चुगली ।

विश्वासघात का प्रतीक है चुगली,
अतिमहत्वाकांक्षा का रूप है चुगली,
झूठा वफ़ादार बनने के लिए,
चापलूसी की चटनी है चुगली ।

बिन पेंदी का लोटा है चुगली,
समय के साथ बदलती है चुगली,
अशांति फैलाती है चुगली,
दुष्टता की सहयोगी है चुगली ।

नहीं हैं सगे चुगलखोर किसी के ,
सबकी करते हैं चुगली,
जीवन दर्शन इनकी है चुगली,
दूसरे का जीवन नष्ट करती है चुगली ।

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Comment by akhilesh mishra on November 26, 2012 at 1:19pm

धन्यवाद गणेश जी ।

Comment by akhilesh mishra on November 26, 2012 at 1:15pm

धन्यवाद राजेश कुमारी मैडम,हौसला बढ़ाने के लिए ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 24, 2012 at 8:41pm

चुगली को बहुत ही करीने से परिभाषित किया है आदरणीय अखिलेश मिश्र जी, चुगलबाज किसी के नहीं होते, ये तो मनोवैज्ञानिक बिमारी के शिकार होते हैं, अच्छी रचना, बधाई स्वीकार करें |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 24, 2012 at 6:47pm

सच में अवगुणों की खान है चुगली फिर भी लोग इसका सहारा लेते हैं जाने क्यूँ ???बहुत रोचक रचना बधाई आपको 

कृपया ध्यान दे...

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