For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किस तरह हो यकीं आदमी का |
कोई होता नहीं है किसी का ||

आस्तीनों में खंजर छुपा कर |
दे रहे हो सबक़ दोस्ती का ||

पत्थरों के मकानों में रह कर |
दिल भी पत्थर हुआ आदमी का ||

मान लें बाग़बाँ कैसे उसको |
जिसने सौदा किया हर कली का ||

दर्द का बाँट लेना इबादत |
फ़लसफ़ा है यही ज़िन्दगी का ||

इसको आज़ादी माने तो कैसे |
आदमी है ग़ुलाम आदमी का ||

फैलें इंसानियत के उजाले |
सिलसिला ख़त्म हो तीरगी का ||

अश्क आँखों में है या सितारे |
बन गया सिलसिला रौशनी का ||

ज़ख़्मे – दिल फिर हरा हो गया है |
शुक्र है आँसुओं की नमी का ||

वो भी तो है ‘लतीफ़’ आदमी जो |
पी रहा है लहू आदमी का ||


©लतीफ़ ख़ान (दल्ली राजहरा)

Views: 443

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लतीफ़ ख़ान on November 5, 2012 at 9:47pm

आली जनाब नादिर साहिब , आप जैसे सुखन परवर हों तो हम जैसे नाचीज़ सुखनवरों को हौसला और हिम्मत मिलती है

जनाब नादिर साहब , आप जैसे सुखन परवरों की बदौलत ही हम जैसे नाचीज़ सुखनवर ज़िन्दा हैं | आप ने हौसला अफज़ाई की तहे - दिल से शुक्र गुज़ार हूँ |

Comment by लतीफ़ ख़ान on November 5, 2012 at 9:27pm

आदरणीया डॉ प्राची सिंह जी ,नाचीज़ की रचना को आप ने सराहा ...ममनूनो -मशकूर हूँ | आइन्दा भी आप के सुझाव और मशविरों का तालिब

Comment by लतीफ़ ख़ान on November 5, 2012 at 9:20pm

श्री वीनस केसरी जी ,आप की हौसला अफज़ाई के लिए शुक्रिया .....मै ने आप की रचनाएँ गुफ़्तगू में पढ़ी हैं | आप तो वैसे भी मशहूर ओ मआर्रुफ़ शायर हैं | आप से दाद मिली ...ज़हे-नसीब |

Comment by shalini kaushik on October 28, 2012 at 11:51pm

पत्थरों के मकानों में रह कर |
दिल भी पत्थर हुआ आदमी का ||

 सार्थक भावपूर्ण प्रस्तुति बधाई 

Comment by वीनस केसरी on October 26, 2012 at 10:28pm

एक बार फिर से आपने मंच को पुख्ता ग़ज़ल से नवाजा है
तहे दिल से ढेरों दाद

Comment by नादिर ख़ान on October 25, 2012 at 12:48pm

पत्थरों के मकानों में रह कर |
दिल भी पत्थर हुआ आदमी का ||

bahut umda baat kahi hai apne 

(jab mitti ke gharon me rahte the to mitti ki khushboo bhi thi aur dil bhi narm tha mitti ki tarah )


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 25, 2012 at 10:18am

//आस्तीनों में खंजर छुपा कर |
दे रहे हो सबक़ दोस्ती का ||
//

वाह जनाब वाह, बहुत ही उम्दा कहन है, सभी शेर बढ़िया कहें हैं, बधाई कुबूल करें |

Comment by Anil chaudhary "sameer" on October 25, 2012 at 10:15am
वाह लतीफ़ जी, बहुत ही सुन्दर भावों को प्रदर्शित करती आपकी ग़ज़ल, काबिले तारीफ़ है ! 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
12 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service