For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"विरह गीत" - लतीफ़ ख़ान, दल्लीराजहरा.

विरहन का क्या गीत अरे मन |
प्रियतम प्रियतम, साजन साजन ||

जब से हुए पी आँख से ओझल,
प्राण है व्याकुल साँस है बोझल,
किस विध हो अब पी के दर्शन || विरहन का...

प्रीत है झूटी सम्बन्ध झूटा,
सौगंध झूटी अनुबन्ध झूटा,
मिथ्या मन का हर गठबन्धन || विरहन का...

जब दर्पण में रूप सँवारूँ,
अपनी छवि में पी को निहारूँ,
मेरी व्यथा से अनभिज्ञ दर्पण || विरहन का...

दुख विरहन का किस ने जाना,
अपने भी अब मारें ताना,
कौन सुने अंतस का क्रन्दन || विरहन का...

डगमग डगमग जीवन नैया,
पार हो कैसे ये बिन खेवैया,
इस तट मैं हूँ उस तट साजन || विरहन का...

हवन - कुण्ड सा जीवन मेरा,
विरह अग्नि का जिस में डेरा,
व्यर्थ लगे अब पूजन अर्चन || विरहन का...

धूमिल धूमिल आस के अक्षर,
पृष्ट हुए जीवन के जर्जर,
कौन करे अब इस का विमोचन || विरहन का...

लिख लिख हारी मैं तो पाती,
बुझ ना जाए आस की बाती,
व्यर्थ लगे है अब यह जीवन || विरहन का...

©लतीफ़ ख़ान, दल्लीराजहरा.

Views: 587

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 6, 2012 at 1:41pm

कोमल कविता की अत्यंत सुन्दर बानगी .. . बधाई स्वीकारें, भाई लतीफ़ ख़ान जी.. .

Comment by Arun Sri on November 6, 2012 at 12:54pm

सच कहा एक विरहन और क्या गा सकती है ! वो तो साँस भी लेती है तो हवाओं पर साजन लिख जाता है ! आपके गीत कई बार पढ़ गया ! बहुत अच्छा लगा ! कुछ अपना सा अनुभव हुआ पढकर !

Comment by नादिर ख़ान on November 5, 2012 at 6:16pm

हवन - कुण्ड सा जीवन मेरा,
विरह अग्नि का जिस में डेरा,

 

बहुत सुंदर रचना ...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 5, 2012 at 5:07pm

विरहन के हृदय क्रंदन को बेहद सुन्दर शब्द मिले है इस अभिव्यक्ति में.

सुप्रवाहित, सुमधुर, गीत के लिए बहुत बहुत बधाई 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 5, 2012 at 3:57pm

विरहन का क्या गीत अरे मन |प्रियतम प्रियतम, साजन साजन 

जब दर्पण में रूप सँवारूँ,अपनी छवि में पी को निहारूँ,                   बहुत खूब ।
मेरी व्यथा से अनभिज्ञ दर्पण ||प्रियतम प्रियतम, साजन साजन     
दर्पण आइना होता है-वह अनभिग्य, वाह वाह 
पढ़ पढ़ कर मै करूँ क्रंदन, सलाम कवि लतीफ़ खान करूँ नमन । -बेहद उम्दा

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service