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फिर कौरव सेना सम्मुख है एक महाभारत रच डालो|

कभी गुलामी के दंशों ने , कभी मुसलमानी वंशों ने
मुझे रुलाया कदम कदम पर भोग विलासीरत कंसो ने
जागो फिर से मेरे बच्चों शंख नाद फिर से कर डालो
फिर कौरव सेना सम्मुख है एक महाभारत रच डालो||

मनमोहन धृष्टराष्ट बन गया कलयुग की पहचान यही है 
गांधारी पश्चिम से आकर जन गण मन को ताड़ रही है
भरो गर्जना लाल मेरे तुम माँ का सब संकट हर डालो
फिर कौरव सेना सम्मुख है एक महाभारत रच डालो ||

 टू जी आवंटन का रेला  ओलम्पिक में चौसर खेला
    खाद्यानो में घोल रहे हैं महंगाई का जहर  विषैला
विषधर ना बन पायें कल ये सभी सपोले दफना डालो
फिर कौरव सेना सम्मुख है एक महाभारत रच डालो ||

पन्ने बीते कल के खोलो मैंने कितने वीर जने हैं
तिलक मेरी मिटटी का करके लाल मेरे रणवीर बने हैं
कालिख पोते इन दुष्टों के काट मुंड गर्जन भर डालो
फिर कौरव सेना सम्मुख है एक महाभारत रच डालो ||

फिर मेरे गौरव को सोने की चिड़िया का ताज लगा दो
इन दुष्टों के काले धन को चौराहे पर आग लगा दो
नहीं चाहिए मुझको जूठन भूखे शेरों घात लगा लो
फिर कौरव सेना सम्मुख है एक महाभारत रच डालो ||..........मनोज

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Comment by Manoj Nautiyal on October 22, 2012 at 8:40am

shukriya aap sabhi mitron ka 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 21, 2012 at 6:46pm

आज कल के हालात को देखकर ये शब्द निकलने लाजिम हैं बहुत रोष और ओज पूर्ण कविता बहुत बहुत बधाई 

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on October 21, 2012 at 5:06pm
अरे मनोज जी इस गीत में तो आग है आग।ये तेवर तो नपुंसक में भी वीरता का संचार कर सकता है।राष्ट्र कवि दिनकर जी के बाद यह आग आपकी रचन में दिखाई पड़ रहा है।लेकिन सर अरस्तू ने कहा था-अपेक्षाकृत गर्म क्षेत्रों के निवासी एशियाई बुद्धि व तकनीकि कुशलता में तेज जबकि स्वभाव आलसी व कायर होते हैं।जो काफी हद तक सही भी है।हमारा इतिहास गवाह है कि राम को छोड़कर हमारे इसी रणबांकुरे ने उपनिवेश बनाने की जहमत नहीं उठाई,अलबत्ता आपस में ही लड़कर मरें।जैसे:-महाभारत युद्ध,यदुवंश संहार,राजपूत राजाओं का युद्ध आदि।मुस्लमानों से तो हम स्वतंत्र हो नहीं सके और अंग्रेजों से पूरे 347 वर्ष बाद आजाद हुये।
लेकिन आपके गीत की ये आग काबिले दाद है।बधाई।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 21, 2012 at 4:17pm

इस जोशीले सामयिक गीत की जितनी तारीफ़ करें कम होगी, बहुत बहुत बधाई इस रचना पर.

Comment by Chidanand Shukla on October 19, 2012 at 11:24am

वाह वाह क्या खूब लिखा है मनोज जी आपने सुन्दर गीत 

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