For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

(चार चरण : विषम चरण १३

मात्रा व जगण निषेध / सम चरण ११ मात्रा)

 

आदिशक्ति है नारि ही, झुक जाते भगवान.  

नारी सबकी मातु है, सब जन पुत्र समान..

 

शक्तिरूप में ही वही, नहीं अल्प अभिमान. 

परमेश्वर के रूप में, पिय को देती मान..

 

ताने सहकर नित्य ही, बनी रहे अनजान. 

सदा समर्पित भाव से, सबका रखती ध्यान..

 

जान बूझ बंधन बँधे, बचपन बाँधे पित्र.

यौवन में पिय बाँधते, जरा अवस्था पुत्र.. 

 

ईश्वर ही नर रूप में, नारी सब संसार.

पुरुषरूप मिथ्या यहाँ, छोड़ें भी तकरार.. 

 

नारी जग की स्वामिनी, जग का वह आधार.

हृदयस्थल  में  वास  है,  वंदन  बारम्बार..

_______________________________

--इं० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'

Views: 761

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Er. Ambarish Srivastava on October 11, 2012 at 7:34pm

आदरणीय डॉ० श्याम गुप्त जी !

आपका हार्दिक स्वागत है ! निम्न लिखित प्रश्नों के लिए बहुत बहुत आभार आदरणीय !

नारी सबकी मातु है, सब जन पुत्र समान..--- --> कोई पति होगा या नहीं ...

वैसे तो पति सहित बाबा, नाना, पिता, चाचा मामा व भाई सहित अनेक हैं ! परन्तु सभी के वर्णन की अपेक्षा मात्र ग्यारह मात्राओं में ही ? :-)

//शक्तिरूप में ही वही, नहीं अल्प अभिमान.----- >क्या नारी में अभिमान नहीं होता ???//

जी हाँ ! कुछ लोगों की दृष्टि में 'अल्प अभिमान नहीं होता' :-)

//------ईश्वर ही नर रूप में, नारी सब संसार.

      पुरुषरूप मिथ्या यहाँ, छोड़ें भी तकरार..----> कहाँ तो नर ईश्वर रूप कहा है ...वहीं दूसरी पंक्ति में पुरुष को मिथ्या ??//

"इसका उत्तर  पुरुषरूप मिथ्या यहाँ'" में ही समाहित है अर्थात

पुरुषरूप मिथ्या यहाँ, अर्थात सिर्फ यहाँ वहाँ नहीं :-)

//-----नारी जग की स्वामिनी, जग का वह आधार.  -------> नारी प्रकृति है, स्वामिनी है पर जग का आधार नहीं है ..आधार तो ईश्वर , पुरुष , ब्रह्म ही है ..//

वैसे तो सत्य-रूप ईश्वर ही जगत का आधार है।  क्योंकि विद्वानों द्वारा ऐसा ही कहा गया है परन्तु

"एक मूलभूत ज्ञान शक्ति सूक्ष्म परमाणु से लेकर संपूर्ण व्रह्माण्ड तक का नियमन कर रही है, इसकी पुष्टि निम्न तथ्यों से प्रतीत होती ... जगत में ठोस जैसा कुछ नहीं है, केवल प्रकम्पन ही है... ये सभी जिस मूल आधार से उद्भूत हैं, उसे ही व्रह्म कहा गया।"

"शैवों की धारा में शिव दायें और शक्ति हमेशा बायें रहती है| यह शक्ति समूल जगत की मूल है और मनुष्य की देह में मूलाधार चक्र में स्थापित है और यही शक्ति इस सारे जगत की सृष्टिकर्ता भी है|

भारत के मनीषियों ने परमात्मा को माता कहा| उसके पीछे कारण थे और वह गहरे कारण यह थे कि पिता चिन्ह है अहंकार का और पिता चिन्ह है दंड का| माता चिन्ह है करुणा, दया, क्षमा का| परमात्मा को जब स्त्री रूप से पूजा तो उसके पीछे भी  बहुत गहरे मनोवैज्ञानिक कारण थे|

( ऋषि अमृत अक्तूबर 2009)

क्षमा करें आदरणीय इस विषय में मुझे अधिक ज्ञान नहीं है ! क्योकि यह बहुत गूढ़ विषय है ....सादर

Comment by Er. Ambarish Srivastava on October 11, 2012 at 5:35pm

धन्यवाद आदरणीय सौरभ जी !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 11, 2012 at 2:39am

दोहों की प्रस्तुति के लिये आपका सादर धन्यवाद, आदरणीय अम्बरेषजी.

Comment by Vinita Shukla on October 10, 2012 at 12:12pm

नारी के जीवन के सत्य और उसकी महत्ता को प्रकाशित हुई सुन्दर रचना. बहुत बहुत बधाई.

Comment by Er. Ambarish Srivastava on October 10, 2012 at 12:03am

स्वागत है अनुज संदीप जी ! हार्दिक आभार.......आपको यह दोहे अच्छे लगे तो रचनाकर्म सार्थक हुआ ! सस्नेह

Comment by Er. Ambarish Srivastava on October 9, 2012 at 11:59pm

धन्यवाद अशोक जी ! हार्दिक आभार मित्र |

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on October 9, 2012 at 1:04pm

वाह वाह वाह
क्या ही कथ्य है क्या ही शिल्प बहुत सुन्दर दोहे रचे हैं सर जी
नारी के परिपेक्ष्य में जो कुछ भी दोहों में समाहित किया है वह सब सत्य है
साधु साधु

Comment by Ashok Kumar Raktale on October 9, 2012 at 8:10am

जान बूझ बंधन बँधे, बचपन बाँधे पित्र.

यौवन में पिय बाँधते, जरा अवस्था पुत्र.. वाह! हर वय के बंधन को वर्णित करता सुन्दर दोहा.

          सभी एक से बढ़कर एक दोहों के लिए सादर बधाई स्वीकारें. आद. अम्बरीश जी.

Comment by Er. Ambarish Srivastava on October 8, 2012 at 11:16pm

आदरेया राजेश कुमारी जी सभी दोहों की सराहना के लिए हार्दिक आभार ! सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 8, 2012 at 9:24pm
सभी दोहे एक से बढ़कर एक हैं अम्बरीश जी बहुत बहुत बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
Wednesday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service