For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज मॉर्निंग वॉक से लौटते समय सोचा कि जरा सीताराम बाबू से भेंट करता चलूँ| उनके घर पहुँचा तो देखा वो बैठे चाय पी रहे थे| मुझे देखते ही चहक उठे - "अरे राधिका बाबू, आइये आइये...बैठिये.....सच कहूँ तो मुझे अकेले चाय पीने में बिलकुल मजा नहीं आता, मैं किसी को ढूंढ ही रहा था......हा....हा...हा.....|" कहते हुए उन्होंने पत्नी को आवाज लगाई - "अजी सुनती हो, राधिका बाबू आए हैं........एक चाय उनके लिये भी ले आना|"

फिर हमदोनों चाय पीते हुए इधर-उधर की बातें करने लगे| तभी उन्होंने टेबल पर रखा अखबार दिखाते हुए कहा - "अरे आपने आज का पेपर देखा? इस भ्रष्टाचार के दीमक ने हमारी युवा पीढ़ी को भी पूरा चाट लिया है| ये देखिये आज की हेडलाइंस 'नवपदस्थापित प्रखंड विकास पदाधिकारी रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों धराये'| अजी ये लड़का एकदम नया-नया ही बहाल हुआ था, और हालत देखिये| आते-आते भूख लग गई| राधिका बाबू, अगर देखा जाए तो इसमें माँ-बाप का भी कम दोष नहीं है| जाने कैसे माँ-बाप होते हैं जो अपने स्वार्थ के लिये ये पाप की कमाई खुशी-खुशी स्वीकार कर लेते हैं और अपने बच्चों को सही संस्कार नहीं देते|" उनकी ये बात मुझे भी ठीक लगी सो मैंने भी सहमति में सिर हिलाया| फिर कुछ हल्की-फुल्की बातें होने लगीं| आगे बातों ही बातों में मुझे उनकी बेटी सुधा का ख्याल आया जो विवाह के लायक हो गई थी और वो उसके लिये किसी अच्छे रिश्ते की तलाश में थे| मैंने उनसे पूछा - "सीताराम जी, इधर सुधा के लिये कोई लड़का देखा है या नहीं?" वो झट से बोले - "अरे हाँ हाँ राधिका बाबू, मैं तो आपको बताना ही भूल गया| देखा तो है एक लड़का| मेरे एक पुराने परिचित का बेटा है| कार्मिक विभाग में नौकरी करता है| वैसे तो लिपिकीय संवर्ग में है किन्तु ऊपरी आमदनी बड़ी अच्छी हो जाती है| मैं तो अपनी ओर से पूरी कोशिश कर रहा हूँ कि बात पक्की हो जाए| बिटिया सुख से रहेगी तो मुझे भी चैन रहेगा|" मैं अवाक था|

Views: 692

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by UMASHANKER MISHRA on September 21, 2012 at 12:51pm

बहुत सुन्दर 

बहुत खूब 

वाह क्या रंग दिखाया भाई ....ऐसा ही है सच  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 20, 2012 at 7:43pm

बहुत सही..  शीर्षक को सार्थक करती लघुकथा है, भाई.

कहते हुए उन्होंने पत्नी को आवाज लगाई - "अजी सुनती हो, राधिका बाबू आए हैं........एक चाय उनके लिये भी ले आना|"

इस पूरी पंक्ति को यों भी लिखा जाता तो बेहतर होता.. .   कहते हुए उन्होंने पत्नी को आवाज लगाई दी. 

पुनः बधाई, कुमार अजीतेन्दु जी.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 20, 2012 at 5:20pm

आपकी लघुकथा दो रूप दिखाने में कामयाब रही एक ही तस्वीर के दो चेहरे हतप्रभ नहीं हूँ यही आज का सच है बहुत बहुत बधाई इस उत्कृष्ट लघु कथा के लिए 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 20, 2012 at 10:46am
हाथी के दात दिखाने के अलग और खाने के अलग 
अच्छी लघु कहानी बधाई कुमार अजितेंदु भाई जी
Comment by लोकेश सिंह on September 20, 2012 at 9:38am

कटु सत्य  को दर्शाती सार्थक उद्देश्य युत कहानी "हांथी  के खाने दांत  दूसरे  दिखाने के दांत  दूसरे ",अच्छे लेखन  के लिए बहुत बहुत साधुवाद ....

Comment by seema agrawal on September 19, 2012 at 11:39pm

"पर उपदेश कुशल बहुतेरे " सार्थक और सटीक कटाक्ष ...बधाई कुमार गौरव जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
12 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Jul 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service