For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्यों प्राण प्रियतम आये ना ??

चाँदनी ढल जायेगी फिर
क्या मिलन बेला आयेगी
मिलने को व्याकुल नयन ये तो
क्यों प्राण प्रियतम आये ना??

नयन बदरा छा गये
रिम-झिम फुहारों की घटा
मुझमें समाने और अब तक
क्यों प्राण प्रियतम आये ना??

विरह की इस वेदना को
अनुपम प्रेम में ढाल
अमानत बनाने मुझे अपनी
क्यों प्राण प्रियतम आये ना??

मुख गरिमा के चंचल तेवर
अलौकिक कर हर प्रेम भाव
मेरे मुख दर्पण के भाव देखने
क्यों प्राण प्रियतम आये ना??

निहारिका सा प्रेम रूप
छलकत निकट पनघट
निहारने उस प्रेम को
क्यों प्राण प्रियतम आये ना??

दीप्ति शर्मा

Views: 616

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by satish mapatpuri on September 7, 2012 at 3:10am

नयन बदरा छा गये
रिम-झिम फुहारों की घटा
मुझमें समाने और अब तक
क्यों प्राण प्रियतम आये ना??

अभिनव ..... एक बेहतरीन रचना ...... वियोग और विरह की दशा को दिशा देती इस रचना के लिए बधाई दीप्ति जी

Comment by UMASHANKER MISHRA on September 6, 2012 at 7:40pm

दीप्ति जी

इस वियोग रस पूर्ण रचना ने मन को छू लिया

हार्दिक बधाई

Comment by Rekha Joshi on September 6, 2012 at 7:32pm

निहारिका सा प्रेम रूप
छलकत निकट पनघट
निहारने उस प्रेम को
क्यों प्राण प्रियतम आये ना??,अति सुंदर अभिव्यक्ति दीप्ति जी ,बधाई 

Comment by Harvinder Singh Labana on September 6, 2012 at 6:12pm

Sundar Abhivyakti


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 6, 2012 at 4:32pm

कुछ बातों को बिम्ब और प्रतीकों में कही जाय तो और आनंद आ जाय, सुन्दर रचना , बधाई हो |

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 6, 2012 at 11:27am
प्राण प्रियतम के आने की राह देखती,छलकते भावों को अभिव्यक्त करती सुंदर
रचना के लिए बधाई आदरणीय दीप्ति शर्मा जी, आदरणीय सौरभ जी के सलाह 
पर गौर कर इसे और उचाइयां प्रदान करने का प्रयास करे-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला
Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on September 6, 2012 at 10:56am

चाँदनी ढल जायेगी फिर
क्या मिलन बेला आयेगी
मिलने को व्याकुल नयन ये तो
क्यों प्राण प्रियतम आये ना??

अत्यंत सुन्दर प्रयास दीप्ति........!!!!

Comment by Yogi Saraswat on September 6, 2012 at 10:21am

विरह की इस वेदना को
अनुपम प्रेम में ढाल
अमानत बनाने मुझे अपनी
क्यों प्राण प्रियतम आये ना??

बहुत ही  खूबसूरत शब्दों  में  आपने व्यथा  की dasha    ko  vyakt  kiya  है ! बहुत badhiya , deepti जी !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 5, 2012 at 10:18pm

दीप्ति जी, विरह की अद्भुत दशा को उभारते इस गीत के लिये बधाई.

कोशिश कर इस रचना और सान्द्र करें. अत्यंत संभावनाओं से भरी है आपकी भाव-दशा. दूसरे, आपकी प्रस्तुतियों में साहस भी है.

शुभेच्छाएँ.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"ग़ज़ल द्वेष हर दिल से मिटा कर के नतीजा देखूँ देश का हाल भला बनता है कैसा देखूँ रास्ता बीच का मजबूत…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दिनेश जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय Chetan Prakash जी आदाब। ग़ज़ल के प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। मेरे …"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय नीलेश जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गिरह भी ख़ूब, हर शेर पे दाद क़ुबूल…"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल का प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले…"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही है आपने बधाई स्वीकार कीजिये गिरह भी ख़ूब हुई सादर"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"2122 1122 1122 22 घर से निकलूँ कहीं बाहर जो है दुनिया देखूँ वक़्त के साथ ही ख़ुद को भी मैं चलता…"
6 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय Nilesh Shevgaonkar जी आदाब। अच्छी ग़ज़ल हुई । बधाई स्वीकार करें।"
6 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"अपने भारत के लिए मैं यही सपना देखूँ फिर इसे बनते हुए सोने की चिड़िया देखूँ मेरी हसरत है, हो हर आँख…"
6 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहता हूँ तुझसे जन्मों का नाता है ओबीओ
"गज़ब धर्म निभाया, आप ने,आदरणीय भाई लक्ष्मण सिंह मुसाफिर,  धामी जी, अनेकानेक बधाईंया !"
7 hours ago
Chetan Prakash commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"बहुत सुन्दर शास्त्रीय गीत का सृजन हुआ,  भाई,  नाथ सोनाक्ष, बधाई,  आपको, श्री  !"
7 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"मेरे  महबूब  कभी  वो  हसीं  चहरा  देखूँ   दिन भी बन जाए…"
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service