For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अरे ! कहाँ गई !
अभी तो यहीं थी !
लगता है कहीं गिर ही गई
इस आपाधापी में,
हो सकता है कुचल दी गई होगी
किन्हीं कदमों के तले,
या फिर उड़ा ले गया उसे
झोंका कोई हवा का ;
चाहे चुरा ले गया होगा चोर कोई,
लेकिन चुराएगा कौन !
चीज तो काफी पुरानी थी
फटी-चिटी, धूल-धूसरित,
बहुत संभव है फेंक दिया होगा
किसी ने बेकार समझ के
और ले गया होगा कोई
आउटडेटेड आदमी अपने
स्वभाव के झोपड़े में लगाने के लिए ;
कहीं कहानी लिखनेवाले
तो उठा नहीं ले गये !
कवियों का भी काम हो सकता है,
अन्यथा कोई वृद्ध ले गया होगा
अपने जमाने की शान को
लगा के कलेजे से,
बैठ के अकेले में साथ रोने के लिये
अपनी और उसकी दुर्दशा पर ;
खैर.......जो कुछ भी हो,
अब तो मिलने से ही रही
वो खोई हुई चीज
"मिठास रिश्तों की" |

Views: 537

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 5, 2012 at 7:45am

आदरणीय रक्ताले सर........कविता को पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार......

Comment by Ashok Kumar Raktale on September 4, 2012 at 12:58pm

गौरव जी

           सादर, सच है वक्त के साथ रिश्तों की मिठास भी कम होती जा रही है. बहुत ही सुन्दर रचना बधाई.

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 4, 2012 at 6:47am

आदरणीय गुरुदेव सौरभ सर........आपका दिल से आभार......आपके इसी स्नेह और मार्गदर्शन का आकांक्षी हूँ.......धन्यवाद........


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 3, 2012 at 11:33pm

ओह्होह ! ...  वाह ! क्या ही निर्वहन हुआ है .. !!

इस कथ्यपरक रचना के लिये आपको बार-बार बधाई कह रहा हूँ... . आपके रचना-कर्म में आवश्यक निखार आ रहा है, भाई.

निरंतरता बनाये रखें.  पुनः,-पुनः बधाई.. .

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 3, 2012 at 10:58pm

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद योग्यता जी.........

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 3, 2012 at 10:57pm

आदरणीया रेखा जी.......रचना को पसंद करने के लिये आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.......

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 3, 2012 at 10:56pm

आदरणीया प्राची जी, कविता को पसंद करने के लिये आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.......

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 3, 2012 at 10:54pm

आदरणीय फूल सिंह जी........आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.........

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 3, 2012 at 10:54pm

आदरणीय लक्ष्मण सर.......रचना के भावों को सराहने के लिये आपका धन्यवाद.........

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 3, 2012 at 10:52pm

आदरणीय मित्र संदीप जी....कविता को पसंद करने के लिये आपका हार्दिक आभार..........

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service