मिट्टी को रंग के लाल-हरे रंग दे दिये
लिख-लिख किताबें सोंचने के ढंग दे दिए
देनी थीं वुसअतें तो खुले आसमान सी
धर्मो ने दायरे बड़े ही तंग दे दिए
चन्दन गुल या इत्र की खुशबू,जिसको होना है हो जाए
घूमे जंगल-जंगल ,महके उपवन-उपवन धूम मचाए
पर ,ख़ुलूस से बढ़ कर कोई गंध नहीं है इस दुनिया में
जो बिखरे इस दर इठलाकर उस दर की देहरी महकाए
ईमान अब संदेह का पर्याय हो गया
इंसानियत का भाव नष्टप्राय हो गया
कुअरान,बाइबिल या कि गीता पढ़ी तो क्या
संकीर्ण ही जब आपका अभिप्राय हो गया
Comment
सीमा जी प्रणाम
बहुत सुन्दर मुक्तक बधाई
फूल सिंह
ईमान अब संदेह का पर्याय हो गया
इंसानियत का भाव नष्टप्राय हो गया
कुअरान,बाइबिल या कि गीता पढ़ी तो क्या
संकीर्ण ही जब आपका अभिप्राय हो गया
बहुत सुन्दर मुक्तक सीमा जी बधाई स्वीकारें.
ईमान अब संदेह का पर्याय हो गया
इंसानियत का भाव नष्टप्राय हो गया ---वाह सीमा जी लाख टके की बात कह दी ---अतिसुन्दर तीनो मुक्तक एक से बढ़कर एक बहुत बधाई
स्वागत है रेखा जी ...बहुत बहुत धन्यवाद
आदरणीय योगराज जी आपने जिस स्नेह के साथ तीनो मुक्तकों पर अपनी प्रतिक्रिया दी है वो मेरे लिए किसी पारितोषिक से कम नहीं है
दिल से शुक्रिया आपका ........
ईमान अब संदेह का पर्याय हो गया
इंसानियत का भाव नष्टप्राय हो गया
कुअरान,बाइबिल या कि गीता पढ़ी तो क्या
संकीर्ण ही जब आपका अभिप्राय हो गया,बहुत खूब सीमा जी बहुत बढ़िया ,हार्दिक बधाई
//मिट्टी को रंग के लाल-हरे रंग दे दिये
लिख-लिख किताबें सोंचने के ढंग दे दिए
देनी थीं वुसअतें तो खुले आसमान सी
धर्मो ने दायरे बड़े ही तंग दे दिए// वाह सीमा जी वाह, धर्मों द्वारा दायरे संकुचित करने का ख्याल बेहद सुन्दर लगा.
//चन्दन गुल या इत्र की खुशबू,जिसको होना है हो जाए
घूमे जंगल-जंगल ,महके उपवन-उपवन धूम मचाए
पर ,ख़ुलूस से बढ़ कर कोई गंध नहीं है इस दुनिया में
जो बिखरे इस दर इठलाकर उस दर की देहरी महकाए// //ख़ुलूस से बढ़ कर कोई गंध नहीं है इस दुनिया में// बहुत ही सच्ची और सुच्ची बात कही है - वाह.
//ईमान अब संदेह का पर्याय हो गया
इंसानियत का भाव नष्टप्राय हो गया
कुअरान,बाइबिल या कि गीता पढ़ी तो क्या
संकीर्ण ही जब आपका अभिप्राय हो गया// बहुत गहरी बातें कहीं हैं यहाँ भी. ईमान जब संदेह का पर्याय हो जाये तो एक संवेदनशील कलम इसी तरह क्रन्दन करती है. बधाई स्वीकारें.
धन्यवाद नवल किशोर जी
शुक्रिया अलबेला जी
बहुत खूब .........बधाई seema ji !
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