For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जब भी गुमसुम तन्‍हा तट पर

बरबस तुम आ जाओगे

वहीं लहर के श्रृंग तोड़ते

मुझको तुम पा जाओगे

 

बिछुड़े पल के दीप तले

जब अश्रु अर्घ्‍य चढ़ाओगे

वहीं शिखा की छाया छूते

मुझको तुम पा जाओगे

 

छोड़-छोड़ सौन्‍दर्य प्रसाधन

जब कुंतल तुम बिखराओगे

वहीं किसी दर्पण में हंसते

मुझको तुम पा जाओगे

 

ना कहना ना मुझको छलिया

फिर किसको प्रीत सिखाओगे

पायल,कंगन,बिंदी,अंजन में

मुझको तुम पा जाओगे

Views: 428

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राजेश 'मृदु' on August 25, 2012 at 12:12pm

आप सबकी उपस्थिति एवं प्रोत्‍साहन हेतु हार्दिक आभार

Comment by Rekha Joshi on August 24, 2012 at 5:51pm

अति सुंदर अभिव्यक्ति राजेश जी 

Comment by Naval Kishor Soni on August 24, 2012 at 5:21pm

वाह! बहुत सुन्दर प्रेम अभिव्यक्ति..---------badhai.

Comment by Albela Khatri on August 24, 2012 at 2:58pm

आदरणीय राजेश झा  जी...........मंत्रमुग्ध कर दिया  आपने.....
कमाल है .....
वाह

बिछुड़े पल के दीप तले

जब अश्रु अर्घ्‍य चढ़ाओगे

वहीं शिखा की छाया छूते

मुझको तुम पा जाओगे

 

छोड़-छोड़ सौन्‍दर्य प्रसाधन

जब कुंतल तुम बिखराओगे

वहीं किसी दर्पण में हंसते

मुझको तुम पा जाओगे

___इस सुन्दर रचना के लिए अभिनन्दन !

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 24, 2012 at 1:45pm

प्रेम की सुन्दर अभिव्यक्ति | दरअसल प्रेम शब्द से प्रेम करने वाला ईश प्रेमी होता है 

भगवन कृष्ण ने प्रेम को जो आदर्श प्रस्तुत किया है,वह अद्वित्तीय है | सखियों के प्रति,
राधा के प्रति, सखा सुदामा के प्रति, चोपाया गाय हो, मेघ में नाचता मयूर, या कलरव 
करता कोई पक्षी हो | ईसामसीह ने कहा है "जो कोई मुझसे प्रेम करेगा,मै उसके अन्दर 
हूँ | हमाए राजस्थान की मीरा बाई का प्रेम जग जाहिर है जो कृष्ण प्र्रेम में दीवानी हो 
गयी थी | इस बारे में जितना कहा जावे कम है : हार्दिक बधाई बंधुवर झा भाई |
Comment by सूबे सिंह सुजान on August 23, 2012 at 9:43pm

वाह खूब................पंक्तियाँ...

ना कहना ना मुझको छलिया

फिर किसको प्रीत सिखाओगे

पायल,कंगन,बिंदी,अंजन में

मुझको तुम पा जाओगे


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 23, 2012 at 7:48pm

राजेश कुमार झा जी बहुत सुन्दर प्रेम में पगी रचना हेतु बहुत बहुत बधाई 

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on August 23, 2012 at 5:59pm
आदरणीय राजेश कुमार जी!
निश्छल भावभूमि पर रचित प्रेमगीत अपने शालीन सौष्ठव की पराकष्ठा को छू रहा है,जो निरस अप्रेमी के अन्तस को भी अभिभूत कर सकता है।लेखनी की सिद्धहस्तता अचम्भित करती है।अनुपम प्रेमगीत की रचना पर हार्दिक बधाई।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 23, 2012 at 5:19pm
वाह! बहुत सुन्दर प्रेम अभिव्यक्ति..
सब कुछ भाव ही तो हैं... मन जैसे भावों को उत्पन्न करता है, वही साकार रूप लेते प्रतीत होने लगते हैं, 
सुन्दर कल्पना, सुन्दर अभिव्यक्ति
हार्दिक बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

रामबली गुप्ता commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आहा क्या कहने। बहुत ही सुंदर ग़ज़ल हुई है आदरणीय। हार्दिक बधाई स्वीकारें।"
22 hours ago
Samar kabeer commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"जनाब सौरभ पाण्डेय जी आदाब, बहुत समय बाद आपकी ग़ज़ल ओबीओ पर पढ़ने को मिली, बहुत च्छी ग़ज़ल कही आपने, इस…"
Saturday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

किसी के दिल में रहा पर किसी के घर में रहा (ग़ज़ल)

बह्र: 1212 1122 1212 22किसी के दिल में रहा पर किसी के घर में रहातमाम उम्र मैं तन्हा इसी सफ़र में…See More
Friday
सालिक गणवीर posted a blog post

ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...

२१२२-१२१२-२२/११२ और कितना बता दे टालूँ मैं क्यों न तुमको गले लगा लूँ मैं (१)छोड़ते ही नहीं ये ग़म…See More
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"चल मुसाफ़िर तोहफ़ों की ओर (लघुकथा) : इंसानों की आधुनिक दुनिया से डरी हुई प्रकृति की दुनिया के शासक…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"सादर नमस्कार। विषयांतर्गत बहुत बढ़िया सकारात्मक विचारोत्तेजक और प्रेरक रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"आदाब। बेहतरीन सकारात्मक संदेश वाहक लघु लघुकथा से आयोजन का शुभारंभ करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन…"
Thursday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"रोशनी की दस्तक - लघुकथा - "अम्मा, देखो दरवाजे पर कोई नेताजी आपको आवाज लगा रहे…"
Thursday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"अंतिम दीया रात गए अँधेरे ने टिमटिमाते दीये से कहा,'अब तो मान जा।आ मेरे आगोश…"
Thursday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"स्वागतम"
Oct 30

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ

212 212 212 212  इस तमस में सँभलना है हर हाल में  दीप के भाव जलना है हर हाल में   हर अँधेरा निपट…See More
Oct 29
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"//आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी, जितना ज़ोर आप इस बेकार की बहस और कुतर्क करने…"
Oct 26

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service