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फिर लो आया

झीनी फुहारें लाया

सावन आया.

:

लो फूल खिले

कलियाँ भी महकी

सावन आया.

:

झरने झरे,

नदिया भी उफनी,

सावन आया,

:

शाखों पे झूले

सखियाँ संग झूलें

सावन आया.

:

वनों में मेले,

प्रकृति में रह लें

सावन आया.

:

पिया की आस

बिरहन  उदास

सावन आया.

:

शिव मंदिर

बेल पत्र व नीर,

सावन आया.

:

वर्षा की झड़ी

खेतों में आस बढ़ी,

सावन आया.

:

रक्षाबंधन

तीज और त्यौहार,

सावन आया.

:

मच्छर धुन

टर्र मेंढक सुन

सावन आया.

;

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Comment

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Comment by Ashok Kumar Raktale on July 26, 2012 at 8:03pm

भ्रमर जी

          सादर नमस्कार, आपको हाइकू पसंद आये प्रसन्नता हुई. आभार.

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 26, 2012 at 12:01am

पिया की आस

बिरहन  उदास

सावन आया.

मच्छर धुन

टर्र मेंढक सुन

सावन आया.

सुन्दर श्रावणी छवि उकेरी प्रिय अशोक जी ...सुन्दर हाइकु ..बधाई 
भ्रमर ५ 

 

 

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 25, 2012 at 9:59pm

 आदरेया राजेश कुमारी जी,रेखा जी भाई सदीप जी आपको हाइकू पसंद आये.

आपका बहुत बहुत शुक्रिया. 

Comment by Rekha Joshi on July 24, 2012 at 12:47pm

वनों में मेले,

प्रकृति में रह लें

सावन आया.एक से बढ़ कर एक हाइकु ,बधाई 

:

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 24, 2012 at 10:24am

बढ़िया प्रयोग सावन को लेकर बधाई हो आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 23, 2012 at 5:18pm

वाह एक से बढ़कर एक हाइकु मानो पूरा सावन रच डाला बधाई आपको 

कृपया ध्यान दे...

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