For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हिसाब ना माँगा कभी 

अपने गम का उनसे 

पर हर बात का मेरी वो 

मुझसे हिसाब माँगते रहे ।

जिन्दगी की उलझनें थीं 

पता नही कम थी या ज्यादा 

लिखती रही मैं उन्हें और वो 

मुझसे किताब माँगते रहे ।

 

काश ऐसा होता जो कभी 

बीता लम्हा लौट के आता 

मैं उनकी चाहत और वो 

मुझसे मुलाकात माँगते रहे ।

 

कुछ सवाल अधूरे  रह गये 

जो मिल ना सके कभी 

मैंने आज भी ढूंढे और वो 

मुझसे जवाब माँगते रहे ।

- दीप्ति शर्मा

Views: 591

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by deepti sharma on July 26, 2012 at 11:19pm

आदरणीय आशीष  जी  आपको रचना पसंद आयी बहुत आभारी  हूँ ।

Comment by deepti sharma on July 26, 2012 at 11:19pm

आदरणीय अशोक कुमार  जी  आपको रचना पसंद आयी बहुत आभारी  हूँ ।

Comment by deepti sharma on July 26, 2012 at 11:18pm

आदरणीय संजय मिश्रा  जी  आपको रचना पसंद आयी बहुत आभारी  हूँ ।

Comment by deepti sharma on July 26, 2012 at 11:17pm

आदरणीय  अम्बरीश  जी  आपको रचना पसंद आयी बहुत आभारी  हूँ । यूँ ही मार्गदर्शन करते रहे शुक्रिया

Comment by deepti sharma on July 26, 2012 at 11:16pm

आदरणीय  लक्ष्मण  जी  आपको रचना पसंद आयी बहुत आभारी  हूँ । यूँ ही मार्गदर्शन करते रहे शुक्रिया

Comment by deepti sharma on July 26, 2012 at 11:15pm

आदरणीय अलबेला खत्री जी  आपको रचना पसंद आयी बहुत आभारी  हूँ । यूँ ही मार्गदर्शन करते रहे शुक्रिया

Comment by deepti sharma on July 26, 2012 at 11:14pm

आदरणीय सौरभ  जी आपको रचना पसंद आयी बहुत आभारी  हूँ । यूँ ही मार्गदर्शन करते रहे शुक्रिया

Comment by deepti sharma on July 26, 2012 at 11:12pm

आदरणीया डॉ प्राची  जी आपको रचना पसंद आयी बहुत आभारी  हूँ ।

Comment by deepti sharma on July 26, 2012 at 11:12pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी आपको रचना पसंद आयी बहुत आभारी  हूँ ।

Comment by आशीष यादव on July 26, 2012 at 10:27pm

वाह दीप्ति जी, इक आह भी है छिपी है कविता मे इक उलाहना भी लगता है।
बढ़िया रचना पर बधाई स्वीकारें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
22 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
yesterday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service