For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जलाया जब रातों में मुझको

छोड़ कर उल्फत की गलियां, मैं तेरे बिन निकल आया,
जलाया जब रातों में मुझको, इक नया दिन निकल आया,

दिल में दफनाई थी यादें, आज जो फुर्सत में खोदीं,
बे-दर्द जिन्दा जख्मों का, वही पल-छिन निकल आया,

सोंचकर रात भर जागे, सबेरा कल नया होगा,
मगर बीता वही समय उठ के , प्रतिदिन निकल आया,

गुमसुदगी की राहों पर, भटकता छोड़ गया मुझको , 
वही मंजर था जो मेरे दोस्तों, बड़ा कठिन निकल आया,

किताबें खोल कर हैं बैठी, यादों से लहुलुहान वही पन्ने,
पढ़ते - पढ़ते तेरा दिया हुआ, मुझमे चिह्न निकल आया..........

Views: 564

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 12, 2012 at 10:56am

आदरणीय भ्रमर जी और उमाशंकर मिश्र जी आप दोनों जैसी महान हंस्तियों की जब-२ टिपण्णी मिलती है, ह्रदय गद-गद हो जाता है. शुक्रिया मेहरबानी

Comment by UMASHANKER MISHRA on July 11, 2012 at 10:17pm

ऐसे हर लाईन  दमदार है

दिल में दफनाई थी यादें, आज जो फुर्सत में खोदीं,
बे-दर्द जिन्दा जख्मों का, वही पल-छिन निकल आया, विशेषकर यह लाईन दिल के आर पार उतर गई

बहुत बहुत बधाई अरुण जी

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 11, 2012 at 7:09pm

छोड़ कर उल्फत की गलियां, मैं तेरे बिन निकल आया,
जलाया जब रातों में मुझको, इक नया दिन निकल आया,

दिल में दफनाई थी यादें, आज जो फुर्सत में खोदीं, 
बे-दर्द जिन्दा जख्मों का, वही पल-छिन निकल आया,

प्रिय अरुण 'अनंत' जी ..बहुत सुन्दर ..रचनाएँ रंग ला रही है  ..आभार मित्र  ..भ्रमर५ 

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 11, 2012 at 5:33pm

संदीप जी शुक्रिया जो बातें आप आज बता रहे हैं, वो सब मुझे आदरणीय योगराज SIR जी बता चुके हैं.

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on July 11, 2012 at 2:31pm

मित्र अरुण जी,

बहुत ही सुन्दर भावाभिव्यक्ति है आपकी| एक निवेदन है अन्यथा न लीजियेगा थोड़ा शिल्प पर और परिश्रम करिये आपकी कृतियाँ निखर कर सामने आएंगी| ओबीओ पर आने से पहले यही ख़ामी मुझमें भी थी पर यहाँ के विद्वतजनों के सानिध्य में कुछ हद तक मैंने उस पर क़ाबू पा लिया है| सादर,

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 11, 2012 at 11:22am

आदरणीया राजेश कुमारी आपका स्नेह यूँ ही मिलता रहे. आपको प्रणाम नमन

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 11, 2012 at 11:21am

आदरणीया रेखा जी आपने टिपण्णी की बड़ी प्रसनता हुई.

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 11, 2012 at 11:20am

सवी जी आपको मेरी रचना पसंद आई, आपको प्रणाम आभार.

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 11, 2012 at 11:19am

आदरणीय अलबेला जी हार्दिक अभिनन्दन हौंसल आफजाई के लिए.

Comment by Rekha Joshi on July 10, 2012 at 6:04pm

अरुण जी 

सोंचकर रात भर जागे, सबेरा कल नया होगा, 
मगर बीता वही समय उठ के , प्रतिदिन निकल आया,सुंदर भाव ,बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आदरणीय नीलेश नूर भाई, आपकी प्रस्तुति की रदीफ निराली है. आपने शेरों को खूब निकाला और सँभाला भी है.…"
18 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
38 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। इस मनमोहक छन्दबद्ध उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
" दतिया - भोपाल किसी मार्ग से आएँ छह घंटे तो लगना ही है. शुभ यात्रा. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"पानी भी अब प्यास से, बन बैठा अनजान।आज गले में फंस गया, जैसे रेगिस्तान।।......वाह ! वाह ! सच है…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सादा शीतल जल पियें, लिम्का कोला छोड़। गर्मी का कुछ है नहीं, इससे अच्छा तोड़।।......सच है शीतल जल से…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तू जो मनमौजी अगर, मैं भी मन का मोर  आ रे सूरज देख लें, किसमें कितना जोर .....वाह…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तुम हिम को करते तरल, तुम लाते बरसात तुम से हीं गति ले रहीं, मानसून की वात......सूरज की तपन…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहों पर दोहे लिखे, दिया सृजन को मान। रचना की मिथिलेश जी, खूब बढ़ाई शान।। आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service