For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तेरी बिंदिया क्या बिजली से कम है

हे भगवान, यह प्यार भी क्‍या चीज है.  कुछ अच्छा नहीं लगता है.  न जाने क्या हो जाता है. रातों की नींद और दिन का चैन गायब सा हो जाता है. अक्ल भी बहुत होती है, फिल्में भी बहुत देखी जाती है. प्यार करने वाले कभी डरते नही. प्यार कुर्बानी मांगता है. वह देने को तैयार हो जाते है. अपने घर-परिवार की. आखिर घर वालों ने  क्या ही किया है और जो भी किया है वह तो उनका फर्ज था, जो उन्होंने पूरा किया. सबसे अहम बात यह है कि सच्चा प्यार जिंदगी में सिर्फ एक बार ही मिलता है, फिर जब सच्चा प्यार मिल रहा है तो उसको क्यों छोडा जाए. हमारा इतिहास बताता है कि प्यार के चक्कर में आकर लैला-मजनूं, शीरी-फरहाद, सोनी-महीवाल सभी ने दुनिया को छोड़ दिया था. उनको दुनिया से कोई मतलब नहीं था. लेकिन अब दुनिया को नहीं छोड़ सकते, क्योंकि दुनिया को छोडने पर कुछ भी नहीं मिलने वाला. हां यह जरूर है कि अगर घर-परिवार व समाज ने प्यार का विरोध किया तो यह तय है कि उनको छोडऩे में जरा भी वक्त नहीं लगाते. अब क्या करें प्यार में इंसान अंधा हो जाता है. फिर प्यार सपनों की सुनहरी दुनिया में ले जाता है, जहां पर सिर्फ और यही कहा जा सकता है कि (लडक़ा) देखो मैंने देखा है एक सपना, फूलों के शहर में हो घर अपना............ (लड़क़ी) अच्छा ये बताओ कहां पे है पानी, (लडक़ा) बाहर बह रहा है झरना दीवानी, (लड़क़ी) बिजली नहीं है यही एक गम है, (लडक़ा) तेरी बिंदिया क्या बिजली से कम है. आखिर जब बिजली और पानी फ्री में मिल रहा है तो क्या जरूरत है कुछ काम करने की. ऐसी हसीन दुनिया को कौन छोडऩा चाहेगा. भगवान का बहुत-बहुत शुक्रिया हकीकत की कड़वी सच्चाई से दूर सपनों की दुनिया में पहुंचाने के लिए. आखिर घर परिवार को समझना चाहिए कि उनके बच्चों ने अपने लिए बिजली पानी का इन्तजाम तो कर ही लिया है रही बात खाने की तो वह भी मिल ही जाएगा. यह बात भी तो सच है कि जो काम लड़ कर नहीं हो सकता वो प्यार से हो जाता है. 

Views: 902

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Harish Bhatt on July 12, 2012 at 1:49am

आप सभी को बहुत बहुत धन्‍यवाद आपको मेरा लेख अच्‍छा लगा, बस यूं ही कोशिश करता हूं आप सबके सानिध्‍य में मैं भी कुछ ऐसा लिख जो अच्‍छा लगे और मन को प्रसन्‍न रखे

Comment by deepti sharma on July 12, 2012 at 1:27am

वाह वाह बहुत खूब. बधाई.

Comment by UMASHANKER MISHRA on July 11, 2012 at 10:09pm

वाह हरीश जी आपने आज की पीढ़ी को... सुन्दर व्यंग लेख से हकीकत का  दर्शन करवाया है 

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 11, 2012 at 11:30am

हरीश जी बड़ी सरलता से आपने बताया है. मैं आपसे सहमत हूँ. बधाई


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 11, 2012 at 10:33am
आदरणीय हरीश भट्ट जी,
आकर्षण के पीछे भागने वाली युवा पीढी को प्रतिबिम्ब दिखाता बहुत सटीक व्यंगात्मक लेख...
पर मैं एक कदम आगे ये भी सोच रही हूँ कि, झरने और बिंदिया से बातों बातों में तो ये पीढी बिजली पानी का काम चला भी लेती,
 
पर यहाँ भी वो प्राकृतिक झरनों की जगह वाटरपार्क्स पसंद करने और बिंदिया को हेय मानने वाले, सपनों में ही सही, बिजली पानी भी कहाँ से लायेंगे....
Comment by आशीष यादव on July 10, 2012 at 11:10pm

वाह, क्या गजब का व्यंग है। ऐसा हो जाय तो फिर तो बिजली पानी की समस्या दूर हो जाय। लोग इक दूसरे की आँखो और दिलों मे रह लें। और घर की भी जरूरत न पड़े


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 10, 2012 at 10:14pm

मन और तन के अपने-अपने दायरे होते हैं. जब मन पर तन हावी हो जाय तो और मन तन का दास, तो भावनाओं की ऊँचाइयाँ बौनी हो जाती हैं.

आज की युवा पीढ़ी सतही उफान में व्यस्त है. इसकी इतनी सुन्दर विवेचना हुई है कि मन साँसें खींच कर सिर पीटता दीख रहा है.

लेकिन क्या वे भी सुन रहे हैं जिनको सुनाने की नैतिक जम्मेदारी लेखक उठाता दीख रहा है ? खाये-पीये-अघाये हुए बापों के मँसफूटे साहबज़ादे इश्क़ करने का मतलब तुरत-फुरत अधनंगे हो जाना समझते हैं. 

हरीशभट्ट जी की इस व्यंग्यात्मक रचना के लिये सादर बधाई.

Comment by Rekha Joshi on July 10, 2012 at 5:53pm

हरीश जी ,प्यार में सपनो की दुनिया बहुत रंगीन होती है ,जब भी मन उदास हो बस पहुंच जाओ उस रंगीन दुनिया में ,आनंद ही आनंद ,मीठी  सी इस रचना पर आपको हार्दिक बधाई 

Comment by savi on July 10, 2012 at 2:19pm

हरीश जी नमस्कार|

 आपने तो सच में सरकार को कोसने से बचा लिया है, अब अगर बिजली चली जाये तो सबको बिंदिया देखकर ही गर्मी से राहत हो जाएगी| वैसे हिंदी फिल्मो में वाकई प्यार बिजली का पूरक है| एक फिल्म के गाने की दो पंक्तिया भी यही कह रही है -
"तेरा प्यार है तो मुझे क्या कमी है
अंधेरों में भी मिल रही रौशनी है|"
Comment by Albela Khatri on July 10, 2012 at 12:45pm

वाह जी वाह हरीश भट्ट साहेब.......
ऐसी हसीन दुनिया को कौन छोडऩा चाहेगा. भगवान का बहुत-बहुत शुक्रिया हकीकत की कड़वी सच्चाई से दूर सपनों की दुनिया में पहुंचाने के लिए. आखिर घर परिवार को समझना चाहिए कि उनके बच्चों ने अपने लिए बिजली पानी का इन्तजाम तो कर ही लिया है रही बात खाने की तो वह भी मिल ही जाएगा.

बहुत खूब कहा .........
आनंद आया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलक राज कपूर साहब,  आपका तह- ए- दिल आभारी हूँ कि आपने अपना अमूल्य समय देकर मेरी ग़ज़ल…"
5 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"जी आदरणीय गजेंद्र जी बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीया ऋचा जी ग़ज़ल पर आने और हौसला अफ़जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
5 hours ago
Chetan Prakash commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय गिरिराज भंडारी जी । "छिपी है ज़िन्दगी मैं मौत हरदम वो छू लेगी अगर (…"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service