कोई हसीन नज़ारा नज़र को चाहिए
बसएक दरीचा दीवारोदर को चाहिए
लो फ़ैल गई किसी जंगलकी आगसी
अफवाहों की तेज़ी खबर को चाहिए
थोड़ी ज़मीन और थोड़ा आबो रौशनी
बस यही दौलत बेखेशज़र को चाहिए
दो जामा एक चारपाई माथे पर छत
और दो जूनकी रोटी बशरको चाहिए
क्यूँ दिल को तेरा ख़याल हर साअत
और तेरे मूका दीदार नज़रको चाहिए
तेरी यादोंकी बालीं हों हमारे सिरहाने
तेरे बदनकी गर्मी बिस्तर को चाहिए
तू और मैं चाहिए पयेदास्तानेउल्फत
ज्यूँ कमरओमेहर शामोसहरको चाहिए
हुस्नकी पर्दगीहै खुद अपनी मुहाफिज़
एक म्यान तो इस खंज़र को चाहिए
ज़हर भी हौले हौले फैलता है रगों में
थोड़ी सी मीयाद तो असर को चाहिए
राज़ क्या लेके आए थे हम दुनियामें
मिला यहीं जोभी था सफरको चाहिए
© राज़ नवादवी
भोपाल, रात्रिकाल १०.५२, २४/०६/२०१२
दरीचा- खिडकी; बेखेशज़र- वृक्ष की जड़; बशर- व्यक्ति; हर साअत- हर लम्हा; मू- चेहरा, मुंह; बालीं- तकिया; पयेदास्तानेउल्फत- प्रेम की कहानी के लिए; कमरओमेहर- चाँद और सूरज; शामोसहर- शाम और सुबह; मुहाफिज़- हिफाज़त करने वाला; मीयाद- अवधि
Comment
धन्यवाद भाई अरुण एवं उमाशंकर जी जो आपने पढाने के ज़हमत उठाई!
- राज़ नवादवी
खूबसूरत हास्य गज़ल
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