मैं जानता हूं
आप कुछ नहीं कर सकेंगे
पढ़ कर, सोचेंगे थोड़ा
या हो सकता है
बिल्कुल भी नहीं देंगे ध्यान
सही भी है
आपकी भी अपनी हैं परेशानियां
ऐसे में मेरे लिए कहां होगा समय
लेकिन फिर भी बताता हूं आपको
अपने मन की बात
बहुत परेशान करती है
छोटी-छोटी बातें
हो कोई बड़ी समस्या
तो की जा सकती है तैयारियां
मांगी जा सकती है मदद
लेकिन क्या करूं
जब समस्याएं हो छोटी-छोटी और
फैला दूं हाथ - मांगू मदद
तब लगता है
आखिर अब मैंने क्या किया?
फिर जुटाता हूं हिम्मत
निकालता हूं समस्याओं का हल
लेकिन अचानक देखता हूं क्या
फिर आ गई एक और समस्या
शायद यही है जिंदगी का सफर
कभी आसान तो कभी कठिन
पहुंचना है सबको मंजिल पर अपनी
हो सकते है रास्ते अलग-अलग
परेशानियां, जुदा-जुदा
खुद तो हूं मैं परेशान
आपको भी कर दिया परेशान
लेकिन क्या करूं?
बस यूं ही
आप अपने रास्ते, मैं अपने रास्ते
चलते जा रहे है अनंत की तलाश में
एक-दूसरे के सहयोग प्यार के सहारे.
Comment
वाह आदरणीय हरीश जी, कितनी सरलता से, सब कुछ कह दिया .बधाई.
हरीश जी बहुत सुंदर कविता जीवन के आयामो को नया रंग देते और समस्याओं से रूबरू कराती रचना। बहुत बहुत बधाइयाँ!
समस्या पर समस्या ,यही तो है जिंदगी ,अच्छी रचना ,बधाई
जीवन के सफर को क्या खूब निरूपित किया आपने ! समस्याए उनसे लड़ना थक जाना और फिर एक दूसरे का सहयोग यही उतार चदाव तो जीवन का दूसरा नाम है !
जीवन के ऊहापोह और उसकी कश्मकश को उकेरती रचना के लिये बधाई, हरीशभाईजी.
हरीश भट्ट जी बेहेतरिन
अच्छे विषय पर बहुत अच्छी प्रस्तुति
कैदे हयात ओ बन्दे गम असल में दोनों एक हैं...
अच्छी रचना... सादर बधाई स्वीकारें.
सम्मान्य हरीश भट्ट जी,
बहुत सही और नपा तुला सच आपने अपने काव्य में प्रस्तुत किया . विडम्बना भी यही है और सौभाग्य भी यही है कि जीवनचक्र यों ही चलता रहा है और यों ही चलता रहेगा .
___उम्दा कविता के लिए बधाई !
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