For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नयन लाज से झुक- झुक जाएँ
दिल में प्रीत म्रदंग बजाये
मादक मेघ चुराए काजल
क्या सखी साजन ??
ना सखी बादल |

चुपके से दृग द्वार पे आयें
गुदगुदाती बयार साथ में लायें
प्रीत छुपाये दिल में अपने
क्या सखी साजन ??
ना सखी सपने |

चित्त कल्पना में डूबता जाए
मन मीत हाथों पे लकीरे बनाए
सतरंगों से सजाये सवेरा
क्या सखी साजन ??
ना सखी चितेरा |

रुत खामशी से अगन लगाए
जहां बावरे मयूर नृत्य दिखाएँ
गुनगुनाएं घाटियाँ मन भावन
क्या सखी साजन ??
ना सखी सावन |

वो एतिहासिक क्षण भी आये
प्यार में मैंने मोती लुटाये
जब देखा वो प्रीत महल
क्या सखी साजन ??
ना सखी ताज महल |

Views: 722

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 22, 2012 at 11:44am

हार्दिक आभार कुमार गौरव जी 

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on June 22, 2012 at 10:53am

आदरणीया राजेश जी, साहित्य की हर विधा रोचक होती है.......बहुत-बहुत बधाई...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 22, 2012 at 9:22am

हार्दिक आभार सौरभ पाण्डेय जी आपका परामर्श सर्व माननीय है 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 22, 2012 at 9:20am

बहुत बहुत शुक्रिया राज तोमर जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 21, 2012 at 11:45pm

कह-मुकरियों पर सार्थक प्रयास हुआ है, आदरणीया राजेश कुमारीजी.  भाव-पक्ष उत्तम है.  शिल्प पर ध्यान देने की आवश्यकता है.

आप इस मंच के इन्हीं पन्नों में ’कह-मुकरियों’ पर प्रकाशित लेखों को देख लें तो बहुत कुछ स्पष्ट हो जायेगा.

सादर

Comment by Raj Tomar on June 21, 2012 at 10:59pm

"नयन लाज से झुक- झुक जाएँ 
दिल में प्रीत म्रदंग बजाये 
मादक मेघ चुराए काजल 
क्या सखी साजन ??
ना सखी बादल | "

बहुत  खूबसूरत :)


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 21, 2012 at 10:08pm

हार्दिक आभार अविनाश बागडे जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 21, 2012 at 10:07pm

हार्दिक आभार संदीप कुमार जी 

Comment by AVINASH S BAGDE on June 21, 2012 at 3:31pm

मादक मेघ चुराए काजल 
क्या सखी साजन ??
ना सखी बादल | 

 

वो एतिहासिक क्षण भी आये 
प्यार में मैंने मोती लुटाये 
जब देखा वो प्रीत महल 
क्या सखी साजन ??

ना सखी ताज महल |........bahut khoob Rajesh kumari ji.

 

 

 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on June 21, 2012 at 3:04pm

waah waah bahut sundar maukariyaan kahin hai aapne ....................badhai ho aapko

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
11 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
20 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
28 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
38 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
13 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
yesterday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
yesterday
आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service