दिल मेरा तोड़ के इस तरह से जाने वाले।
बेवफ़ा तुझको पुकारेंगे ज़माने वाले॥
प्यार में खाईं थी क़समें भी किए थे वादे,
क्या तुझे याद है कुछ मुझको भुलाने वाले॥
झांक के देख ले अपने भी गिरेबाँ में तू,
उँगलियाँ मेरी शराफ़त पे उठाने वाले॥
सर झुकाये हुए कूचे से निकल जाते हैं,
हैं पशेमान बहुत मुझको सताने वाले॥
बाद मरने के अब उस शख़्स की क़ीमत समझे,
जीते जी जिसको न पहचाने ज़माने वाले॥
दाग़ दामन के भी क्या अपने कभी देखे हैं,
मुझपे इल्ज़ाम सरे आम लगाने वाले॥
मैं दुवाओं से तेरी बच के आ गया लेकिन,
मर गए डूब के ख़ुद मुझको डुबाने वाले॥
फूल ही फूल मिलें तुझको तू जिधर जाये,
ख़ार हरदम मेरी राहों में बिछाने वाले॥
मयकदा, रिंद, पैमाना सब आज रूठे हैं,
रूठे रूठे से है ये जाम पिलाने वाले॥
बात ये हमने भी लोगों से सुनी है यारो,
मारने वालों से बेहतर है बचाने वाले॥
ये सिला देखो मोहब्बत में मिला है “सूरज”,
ठोकरें मुझको लगातें हैं ज़माने वाले॥
डॉ. सूर्या बाली “सूरज”
Comment
मैं दुवाओं से तेरी बच के आ गया लेकिन,
मर गए डूब के ख़ुद मुझको डुबाने वाले॥
इतना जुल्म किस लिए
बधाई
क्या बात है 'सूरज' जी,
किसी एक के लिए क्या कहूँ ....सभी अशआर खूब हैं ...बहुत खूब हैं
__बधाई प्रभु !
Surya sahab, bahut umda ghazal hai. ash'ar ko khubsurati se adaa kiya hai aapne......
vale "yaaroN" ki jagah "yaaro" lafz aayega. ye aap confirm kar leN.
aur मयकदे, रिंद औ पैमाने सभी रूठे हैं, misre ki bahr meN aapne "Rind" aur "o" ke wazn ko juda kar diya hai vale -o- "waav-e-atf" ki waj'h se "rind" ke daal se visal hokar ek hi aawaz dega. iski bah'r ke baare meN bhi rahnumaii ata farmaayeN....
झांक के देख ले अपने भी गिरेबाँ में तू,
उँगलियाँ मेरी शराफ़त पे उठाने वाले॥
फूल ही फूल मिलें तुझको तू जिधर जाये,
ख़ार हरदम मेरी राहों में बिछाने वाले॥
बहुत खूब सूरज भाईजी.
मक्ता भी शानदार हुआ है मग़र थोड़ा और कुछ आयाम दिया होता तो यह जानदार भी होता. :-)))
हृदय से बधाई.. .
झांक के देख ले अपने भी गिरेबाँ में तू,
उँगलियाँ मेरी शराफ़त पे उठाने वाले॥...tank-jhank kyo...seedha dekh le..
बात ये हमने भी लोगों से सुनी है यारों,
मारने वालों से बेहतर है बचाने वाले॥...sahi suna hai..
umda gazal Bali sahab...
wah soorya ji bahut khoobsoorat ghazal kahi he aapne padhkar maza aa gaya bahut bahut mubarak bad pesh karta hoon kubool karein
फूल ही फूल मिलें तुझको तू जिधर जाये,
ख़ार हरदम मेरी राहों में बिछाने वाले॥
बात ये हमने भी लोगों से सुनी है यारों,
मारने वालों से बेहतर है बचाने वाले॥
आदरणीया डॉ सूरज भ्राता जी ...बहुत सुन्दर गजल ...आनंददायी ..सुन्दर सन्देश के साथ ...भ्रमर ५
बहुत उम्दा सर जी.
"
मयकदे, रिंद औ पैमाने सभी रूठे हैं,
रूठे रूठे से है ये जाम पिलाने वाले॥"
आदरनीय सूरज जी ,
फूल ही फूल मिलें तुझको तू जिधर जाये,
ख़ार हरदम मेरी राहों में बिछाने वाले,सुंदर अभिव्यक्ति ,बधाई
ये सिला देखो मोहब्बत में मिला है तुझको सूरज
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