For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अब दीप मुल्के इश्क में उन्माद चाहिए

रो मत अरे नादां नहीं ये आब चाहिए
दुनिया बदलने को दिलों में आग चाहिए

दहशत मिटे वहशत मिटे इस मुल्क से मेरे
बिस्मिल,भगत,अशफाक औ आज़ाद चाहिए

लड़ने बुराई से मिटाने गर्दिश-ए-वतन
चट्टान सा तन औ जिगर फौलाद चाहिए

उजड़ा चमन है मुल्क ये बंजर जमीं हुई
सींचो लहू गर ये चमन आबाद चाहिए

क्या शांति से होगा भला लाठी मिले अगर
अब दीप मुल्के इश्क में उन्माद चाहिए


संदीप पटेल "दीप"

Views: 539

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 12, 2012 at 7:12pm

दहशत मिटे वहशत मिटे इस मुल्क से मेरे ,बिस्मिल,भगत,अशफाक औ आज़ाद चाहिए.....वाह संदीप भाई क्या शेर है। मज़ा आ गया। वैसे तो पूरी ग़ज़ल ही बहुत खूबसूरत है लेकिन इस शेर का जवाब नहीं !! दाद कुबूल करें!!

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 12, 2012 at 3:12pm

आदरणीय संदीप जी, सादर 

बिलकुल सही फरमाया है आपने. बधाई.

Comment by Yogi Saraswat on June 12, 2012 at 10:38am

उजड़ा चमन है मुल्क ये बंजर जमीं हुई
सींचो लहू गर ये चमन आबाद चाहिए

क्या शांति से होगा भला लाठी मिले अगर
अब दीप मुल्के इश्क में उन्माद चाहिए

जोश जगाती बेहतरीन ग़ज़ल !

Comment by Arun Sri on June 12, 2012 at 10:23am

उजड़ा चमन है मुल्क ये बंजर जमीं हुई
सींचो लहू गर ये चमन आबाद चाहिए

बहुत बढ़िया सर जी !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 12, 2012 at 10:01am

bahut sundar aujpoorn ghazal....vaah

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on June 12, 2012 at 9:20am

aap sabhi aadarneey jano @AVINASH S BAGDE sir ji , @अरुण कान्त शुक्ला sir ji , @yogesh shivhare ji , kaa hriday se shukriya aur saadar aabhar

Comment by yogesh shivhare on June 11, 2012 at 9:14pm

लड़ने बुराई से मिटाने गर्दिश-ए-वतन
चट्टान सा तन औ जिगर फौलाद चाहिए  

बहुत सुन्दर रचना वीर रस में सनी हुई .बधाई

Comment by अरुण कान्त शुक्ला on June 11, 2012 at 8:34pm

दुनिया बदलने को दिलों में आग चाहिए... बधाई .

Comment by AVINASH S BAGDE on June 11, 2012 at 7:58pm


दहशत मिटे वहशत मिटे इस मुल्क से मेरे 

बिस्मिल,भगत,अशफाक औ आज़ाद चाहिए ...aaha ha..kya tewar hai kavita ke wah! Sandeep bhai wah!

लड़ने बुराई से मिटाने गर्दिश-ए-वतन 
चट्टान सा तन औ जिगर फौलाद चाहिए 

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
23 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर  होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर ।उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
23 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service