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लघु कथा : ममता

                            चार दिन पहले ही तो सिन्हा साहब की नई चमचमाती कार आई थी, और आज सुबह घर में कोलाहल मचा हुआ है, पूछने पर पता चला कि सिन्हा जी के  बड़े लड़के  रवि  नें, गाड़ी सीखने के दौरान स्कूल जाते हुए एक विद्यार्थी पर गाड़ी चढ़ा दी थी | थोड़ी देर में रवि का छोटा भाई पिंकू आते हुए दिखा, सभी लोग उससे दुर्घटना के बाबत पूछताक्ष करने लगे |
                            सिन्हा जी नें घबराकर पूछा  "बेटा, रवि कैसा है ज्यादा चोट तो नहीं आई ?" नहीं पापा भईया के पैर में हल्की सी चोट है | बबुआ जी कार ठीक है ना, ज्यादे डैमेज  तो नहीं हुई है ना, रवि की पत्नी ने धीरे से पूछा | डैमेज तो है, गाड़ी उस लड़के को धक्का मारते हुए दीवाल  से लड़ गई है | माँ जिसका रोते रोते बुरा हाल था पिंकू को पकड़ कर बोली , " बेटा वो विद्यार्थी कैसा है, उसे बहुत चोट तो नहीं आई, उसका इलाज तो हो रहा है ना" माँ तुझे भईया की चिंता नहीं है और उस लड़के की ज्यादा है, पिंकू नें झल्लाते हुए कहा | 
                            "बेटा वो लड़का भी किसी का बेटा है, उसकी भी माँ होगी जो मेरी तरह ही विलख रही होगी"
  • गणेश जी "बागी"

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Comment by AVINASH S BAGDE on June 6, 2012 at 7:37pm

"MA'..har waqt kahi nkahi jinda rahti hai...

bahut hriday sparshi kathanak...

wah! Bagi ji


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 6, 2012 at 4:33pm

माँ का ह्रदय माँ का की होता है ममता छोटा बड़ा अमीरी गरीबी का चश्मा नहीं पहनती इस कहानी की माँ तो नमन करने योग्य है जो अपने और दूसरे के बच्चे में कोई फर्क का चश्मा नहीं पहनती ...बहुत शानदार कहानी आपको बधाई बागी जी 

Comment by B.G.Jhaveri on June 6, 2012 at 4:00pm

Maa ki mamataa.

Hridaydravak, bahut sunder,


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 6, 2012 at 3:05pm

बाली साहब, हम सभी जब एक ही परिवार ओ बी ओ परिवार से हैं तो कुछ न कुछ फ्रीक्वेंसी तो जरुर मुझ तक आएगी, सराहना हेतु आभार आपका |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 6, 2012 at 3:04pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय कुशवाहा जी |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 6, 2012 at 3:03pm

उत्साहवर्धन हेतु आभार शन्नो दी |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 6, 2012 at 3:02pm

बहुत बहुत शुक्रिया जनाब हसरत साहिब, आपको लघुकथा पसंद आयी, लेखन सफल हुआ |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 6, 2012 at 3:01pm

आदरणीय अलबेला खत्री जी, सराहना हेतु आभार, स्नेह बनाये रखें |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 6, 2012 at 2:55pm

आदरणीया वसुधा निगम जी , लघुकथा पसंद करने व बहुमूल्य टिप्पणी हेतु आभार आपका |

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 6, 2012 at 2:08pm

बागी जी नमस्कार ! क्या मान्यवर ये घटना अभी चंद रोज मेरे घर में ही घटित हुई और आप तक खबर पहुँच गयी । कमाल है भाई इसे कहते हैं छठी इंद्रिय का कमाल। बिलकुल ऐसे ही हुआ ....जिस व्यक्ति का एक्सिडेंट मेरे भतीजे ने कार से किया था उसका मैं अभी भी इलाज़ करवा रहा हूँ। बड़ी मार्मिक कथा ! बधाई हो !

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