For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

                            चार दिन पहले ही तो सिन्हा साहब की नई चमचमाती कार आई थी, और आज सुबह घर में कोलाहल मचा हुआ है, पूछने पर पता चला कि सिन्हा जी के  बड़े लड़के  रवि  नें, गाड़ी सीखने के दौरान स्कूल जाते हुए एक विद्यार्थी पर गाड़ी चढ़ा दी थी | थोड़ी देर में रवि का छोटा भाई पिंकू आते हुए दिखा, सभी लोग उससे दुर्घटना के बाबत पूछताक्ष करने लगे |
                            सिन्हा जी नें घबराकर पूछा  "बेटा, रवि कैसा है ज्यादा चोट तो नहीं आई ?" नहीं पापा भईया के पैर में हल्की सी चोट है | बबुआ जी कार ठीक है ना, ज्यादे डैमेज  तो नहीं हुई है ना, रवि की पत्नी ने धीरे से पूछा | डैमेज तो है, गाड़ी उस लड़के को धक्का मारते हुए दीवाल  से लड़ गई है | माँ जिसका रोते रोते बुरा हाल था पिंकू को पकड़ कर बोली , " बेटा वो विद्यार्थी कैसा है, उसे बहुत चोट तो नहीं आई, उसका इलाज तो हो रहा है ना" माँ तुझे भईया की चिंता नहीं है और उस लड़के की ज्यादा है, पिंकू नें झल्लाते हुए कहा | 
                            "बेटा वो लड़का भी किसी का बेटा है, उसकी भी माँ होगी जो मेरी तरह ही विलख रही होगी"
  • गणेश जी "बागी"

Views: 1106

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 12, 2012 at 4:31pm

 माँ की ममता के अनंत विस्तार को समेटे इस सुन्दर लघु-कथा पर आपको हार्दिक बधाई आदरणीय गणेश बागी जी.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 11, 2012 at 7:44pm

सराहना हेतु आभार कुमार गौरव जी |

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on June 9, 2012 at 10:48pm
बहुत अच्छी कहानी गणेश सर। बधाई स्वीकारेँ।

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 8, 2012 at 8:53am

आदरणीय अरुण कान्त शुक्ला जी, आपकी टिप्पणी से बहुत ही उत्साहवर्धन हुआ, बहुत बहुत आभार श्रीमान |

Comment by अरुण कान्त शुक्ला on June 7, 2012 at 2:01pm

हृदयस्पर्शी कथा . किन्तु ऐसी माएं अपवाद स्वरूप ही होती हैं , जो अपने बेटे के साथ साथ पीड़ित का भी ध्यान दें | यहीं कथाकार की भूमिका होती है कि वह सन्देश उसे पहुंचाना है कि वास्तव में समाज में होना क्या चाहिये | कथा उसे पहुंचाने में सफल रही है | बधाई |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 7, 2012 at 8:49am

आदरणीय उमाशंकर मिश्रा जी, आपने अपना बहुमूल्य विचार इस लघुकथा पर रखा , मैं आभारी हूँ , सहयोग और स्नेह बना रहे |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 7, 2012 at 8:47am

आदरणीय बागडे साहब, प्रतिक्रिया हेतु कोटिश: धन्यवाद |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 7, 2012 at 8:46am

आदरणीया राजेश कुमारी जी, उत्साहवर्धन हेतु आभार |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 7, 2012 at 8:44am

सराहना हेतु आभार झावेरी साहब |

Comment by UMASHANKER MISHRA on June 6, 2012 at 10:56pm

प्रिय गणेश जी बागी  

एक सुन्दर लघु कथा

इंसानियत का एहसास दिलाती

यहाँ माँ  की  जगह कोई भी हो सकता है  

इंसानियत मानवता इसी का नाम है 

आज की पीढ़ी के लिए सीख देती कथा बधाई आपको 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"स्वागतम"
21 minutes ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
22 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service