For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दहेज का दानव बहुत बड़ा है
मुँह विकराल किये खड़ा है ,
कितना भी रोको नही रुकता यह,
रक्तबीज जैसा अपना आकार किया,
पिताओं की पगड़ी इसने उछाली है,
बेटियों के अरमानो को तार तार किया,
कई बेटियों को इस दानव ने जला दिया,
ताने सुन सुन कर जीना हुआ मुहाल,
जो बेटी दहेज न लेकर आई ससुराल,
उस बेटी का क्या था कसूर,
मारकर घर से उसे निकाल दिया,
कैसी परंपरा जो है सब मजबूर,
देश के युवा अब करो कुछ तुम्ही उपाय,
दहेज दानव जल्द से जल्द मारा जाए,
------------

Views: 494

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ratnesh Raman Pathak on September 28, 2010 at 7:41pm
पूजा जी बेसक ही यह मसला (दहेज़) एक जवलन्त मुद्दा है जिसका जवाब कोई नही दे पता है क्योकि हर कोई इस प्रथा से जुड़ा हुआ है .
यह प्रथा बेहद ही मनुष्य को सर्मषर करने वाली है ,फिर भी आज के ज़माने में सर्वोपरी है .
रही बात इसको बदलने की ....तो यह कोई बहुत बड़ी बात है यह हो सकता है पर सबसे पहले हमें अपने आप को ,अपने तंग मानसिकता को बदलना होगा तभी यह हमारे समाज से दूर होगा .और जहा तक मेरी अपनी समझ है इस प्रथा को समाप्त करने में सायद प्रेम विवाह बहुत ही कारगर होगा .आज के इस लोभी समाज में लडको का रेट सुनिश्चित हो गया है .बस जरुरत है पैसो की ,पैसा दीजिये दूल्हा ले जाइये .सोचिये कितनी शर्मसार है यह.इसलिए मेरा मानना यह है की यदि प्रेम विवाह को बढ़ावा दिया जाये तो दहेज़ प्रथा जरुर ही कम होगी .
रत्नेश रमण पाठक

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 28, 2010 at 7:14pm
पूजा जी अच्छी जमीन पर अच्छी सोच के साथ एक अच्छी रचना, दहेज जैसी असामाजिक रीतियों के खिलाफ आप के अन्दर उठ रहे आक्रोश को प्रस्तुत करने मे यह रचना सफल है |बधाई स्वीकार करे |
Comment by आशीष यादव on September 28, 2010 at 6:37am
Dahej sach me danaw bn gya h. Beti kitni v sundar ho dahej km ho to tane sahna padega chahe karmath v ho. Wah re dahej danaw. Bahut sundar abhiwyakti. Dhanyawad swikar kare.
Comment by Subodh kumar on September 27, 2010 at 6:53am
sunder abhiwyakti..sunder rachna...sunder bhawna...bahut khub

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति और प्रशंसा से लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने एवं सुझाव का का दिल से आभार आदरणीय जी । "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सौरभ जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया एवं अमूल्य सुझावों का दिल से आभार आदरणीय जी ।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहो *** मित्र ढूँढता कौन  है, मौसम  के अनुरूप हर मौसम में चाहिए, इस जीवन को धूप।। *…"
Monday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, सुन्दर गीत रचा है आपने. प्रदत्त विषय पर. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, मौसम के सुखद बदलाव के असर को भिन्न-भिन्न कोण…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service