For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गंग नहाये जात हैं,दूर करै तन पाप।
जौ उनका पापी कहौं,क्योंकर हो संताप॥

माँ पत्नी भगिनी चहौं,ममता सेवा प्यार।
बेटी जनकर दुखी क्यों,हो जाते सरकार॥

आशा मन अच्छा करैं,लोग बाग बर्ताव।
क्यों रखते कुछ एक से,निज मन में दुर्भाव॥

अनुशासन जन में रहे,बना देश कानून।
क्यों होता है तब यहां,रोज कत्ल कानून॥

अंधे से नहि पूछते,बुरे भले की बात।
अंधा तो कानून भी,शरण चले क्यों जात॥

ललचाइ अंखियां लखै,तिरिया बेटी आन।
जौ कोई इनकै लखै,कांहे कहौ पिरान॥

भारत भ्रष्टाचार में,डूबै औ उतराय।
रहा धर्म अवलम्ब जो,निर्मल राखिन नाय॥

Views: 711

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on April 26, 2012 at 10:00pm
बागी सर जी आपने ,रचना दिया सराह।
बहुत बहुत आभार है,मन में खुशी अथाह॥

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 26, 2012 at 9:36pm

विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी जी , जबरदस्त , सभी दोहें शानदार बन पड़े है, बेहद खुबसूरत, भाव बहुत ही दूरगामी है, बहुत बहुत बधाई स्वीकार हो |

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on April 26, 2012 at 9:32pm

एक 'क्यों' पहले लिखा,फिर 'क्यों' लिखे आप।
'क्यों' तब मैंने फिर लिखा,रही कृपा सब आप॥

जिस रचना पर आपकी,मिले कृपा सरकार।
क्यों नहि रचना ठीक हो,क्यों नहि होय सुधार॥


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on April 26, 2012 at 9:01pm

बहुत ही सुन्दर दोहावली भाई विन्ध्येश्वरी जी, पढ़ कर मन आनंदित हो गया. सच बताईयेगा ये वाली "क्यों" बेहतर है या पहले वाली "क्यों" जिस पर मैंने "क्यों" लगाया था ?:))))

बहरहाल, आपको हार्दिक साधुवाद.

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on April 26, 2012 at 5:47pm

महिमा दीदी आपने,रचना पढ़ी हमार।
धन्य रचयिता औ कृती,हार्दिक है आभार॥

Comment by MAHIMA SHREE on April 26, 2012 at 5:24pm
गंग नहाये जात हैं,दूर करै तन पाप।
जौ उनका पापी कहौं,क्योंकर हो संताप॥.... bilkul satik bahut khub


अंधे से नहि पूछते,बुरे भले की बात।
अंधा तो कानून भी,शरण चले क्यों जात॥..... waah aap to vindheshwari bhai kaya khub likha hai badhai swikaar karen
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on April 26, 2012 at 3:51pm
आदरणीया राजेश कुमारी जी आपको रचना पसंद आयी रचना व रचयिता दोनों धन्य हुये।हार्दिक आभार।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on April 26, 2012 at 3:47pm
आदरणीय कुशवाहा जी प्रणाम व हार्दिक आभार।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 26, 2012 at 3:02pm

विन्धेश्वरी जी बहुत संदेशपरक दोहे एक से बढ़कर एक |

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 26, 2012 at 2:50pm

आदरणीय त्रिपाठी जी, सादर. 

बहुत sundar bhav yukt दोहे. पसंद  आये. बधाई. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service