For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

(प्रस्तुत रचना रोला छन्द में आबद्ध है।रोला के प्रत्येक चरण में11-13 पर यति(विराम) के साथ 24-24 मात्रायें होती हैं।चरणान्त में लघु गुरु की विशेष बाध्यता नहीं है।)

रहिमन आये याद,हमें तुम्हारा पानी।
घटा जलस्तर किन्तु,बढ़ा आंखों में पानी॥

मोती चूना और,मनुज सभी गये सूखे।
प्यासी सारी भूमि ,त्राहि-त्राहि जन चीखे॥

पिघल रहा हिमवान,जलधि तल ऊपर आया।
क्षरण परत ओजोन,काल की काली छाया॥

ऑक्सीजन में कमी,वायु में कार्बन भारी।
मलवे से है पटी,प्रदूषित नदियां सारी॥

खरबों रुपया खर्च,नदी को सफवाने में।
सारा रुपया साफ,नदी बस दिखलाने में॥

यूं ही जल का नाश,जगत में यदि है जारी।
महायुद्ध की बात? न! महाप्रलय तैयारी॥

धरा बचा लें नीर,बचाना जीवन चाहें।
यही भले की बात,यदि हम प्रलय न चाहें॥

Views: 849

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on August 31, 2012 at 8:29am
भाई छोटू सिंह जी आभार।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on May 6, 2012 at 4:27pm
आदरणीय भावेश सर आपने बिल्कुल मेरे मन की बात किया है।सारा संसार आज अंध-विकास दौड़ में दौड़ रहा है।और यहां भी 'समरथ को नहि दोष गुंसाई' वाली बात चरितार्थ होती है।मैं आपको अपना 101% समर्थन देता हूं।लेकिन यहीं मैं अपना एक दृष्टिकोण रखता हूं और वह यह है कि दूसरों को प्रबोध देने से अच्छा है,सर्वप्रथम हम उसका पालन खुद करें किन्तु इसी तथ्य पर दुनिया के 99% लोग मुकर जाते हैं।पर्यावरण-अवनयन एक वैश्विक समस्या है जिसके सुधार में कोई भी व्यक्ति आनाकानी न करे,हर व्यक्ति को इस दिशा में एक कदम बढ़ाना ही चाहिए।पर्यावरण ऋण भी एक ऋण है।बिना इसको चुकता किये हम उऋण नही हो सकते।
रचना की सराहना के लिए बहुत-बहुत आभार।
Comment by Bhawesh Rajpal on May 6, 2012 at 2:38pm
आदरणीय  त्रिपाठी  जी ,  आपने पर्यावरण प्रदुषण पर जो लिखा है , उससे  उन सभी की आँखें खुल जानी चाहिए जो यह मान बैठे हैं क़ि पृथ्वी पर उपलब्ध संसाधन केवल उनके लिए ही हैं , 
आने वाली पीढियां हमें कभी क्षमा नहीं करेंगी ! इस धरा पर रहने वाले और आने वाले जीव अपने जीवनकाल में संसाधनों का उपयोग करने के तो  अधिकारी हैं, मगर दुरूपयोग 
करने के लिए नहीं ! देखा यह गया है - समर्थ  लोग  व् समर्थ देश पृथ्वी के संसाधनों का अंधाधुंध दोहन कर के अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं , क्या उनके मन में ज़रा भी वो
विचार नहीं आते , जैसा हम सोचते हैं ! ईश्वर सब को सद्बुद्धि दे  !
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on May 6, 2012 at 1:37pm
आभार आदरणीय कुमार साहब!
Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on May 6, 2012 at 12:28pm

विन्ध्येश्वरी प्रसाद जी , पानी के महत्व को बहुत सलीके से बताती रचना. बधाई.

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on May 6, 2012 at 9:35am
आदरणीय जवाहर लाल सर जी हार्दिक आभार।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on May 6, 2012 at 9:33am
आदरणीय आशीष जी हार्दिक आभार।आपकी नेक हृदय को मेरा प्रणाम!
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on May 6, 2012 at 9:31am
आदरणीय वीनस जी हार्दिक आभार।आप भी कहां कम हैं श्रीमान?आप ही कह डालिए छंद के बारे में,आपका आदेश शिरोधार्य होगा।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on May 6, 2012 at 9:27am
आदरणीय सुरेन्द्र सर जी हार्दिक आभार।
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 6, 2012 at 6:36am

पिघल रहा हिमवान,जलधि तल ऊपर आया।
क्षरण परत ओजोन,काल की काली छाया॥

ऑक्सीजन में कमी,वायु में कार्बन भारी।
मलवे से है पटी,प्रदूषित नदियां सारी॥

त्रिपाठी जी बहुत सुन्दर आज के हालत की छवि और सुन्दर सन्देश .... शुभ कामनाएं 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
17 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
20 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service