For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

     (प्रेमी की मनः स्थिति )

कोई  नहीं  है  चाहता  विछड़े  वो  यार  से,

दोनो का यदि मिलन हो विदाई भी प्यार से .

हो आत्मा में वास तो फिर प्रियतमा मिले ,

होता  चमन  गुलिस्तां  है  जैसे  बहार  से ..

*          *         *          *        *        

मुझको ये था यकीन कि है प्यार भी तुम्हे,

मेरे  बगैर  जीना  तो   दुश्वार  है  तुम्हे.

ये बंदिशें थीं प्यार की जो उलझने मिली,

ये सोंचना गलत था कि स्वीकार है तुम्हें..

*        *         *         *         * 

मैं जितना पास जाऊँ वो उतना ही दूर है,

वो मानती नहीं है  कि  वो  मेरी  हूर  है.

जीता हूँ आज भी मैं उसी को ही देखकर,

उसको नहीं पता मेरे  चेहरे  का  नूर  है...

*      *        *          *          *

मेरी  कहानी  का  कोई  किरदार  नहीं  है,

मैं  बेंचता   हूँ  प्यार   खरीदार  नहीं   है.

मृदु भी तो दफ़न हो गया  है उनके प्यार में,

क्या मेरा प्यार अब भी असरदार  नहीं  है..

*        *         *         *           *

                                                      शैलेन्द्र कुमार सिंह 'मृदु'

Views: 550

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on March 24, 2012 at 10:52am

श्री आशीष जी रचना  की सार्थकता सिद्ध करने के लिए  आपका ह्रदय से आभार

Comment by आशीष यादव on March 24, 2012 at 7:55am

मनःस्थिति का सुन्दर वर्णन।

मेरी कहानी का कोई किरदार नहीं है,
मैं बेंचता हूँ प्यार खरीदार नहीं है.
मृदु भी तो दफ़न हो गया है उनके प्यार में,
क्या मेरा प्यार अब भी असरदार नहीं है.
ये पंक्तियाँ मुझे खासतौर पर पसन्द आयीं।
बधाई

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on March 24, 2012 at 12:49am

सौरभ सर सादर नमन  आपकी प्रतिक्रिया मात्र से एवं आप से समय समय पर मिलते रहने वाले सुझवों के कर कारण मन में एक नया जोश आ जाता है . रचना पसंद करने के लिए आपका कोटि कोटि धन्यवाद


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 24, 2012 at 12:33am

मुक्तकों के लिये बधाई.  अच्छा प्रयास हुआ है शलेन्द्रजी.

बहुत खूब.

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on March 23, 2012 at 8:32pm

राजेश कुमारी मैम आपने रचना के  गहन दर्शन कर अपनी प्रतिक्रिया दी इसके लिए बहुत बहुत आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 23, 2012 at 3:29pm

karunras ke aalamban se premi harday ki samvedna se autprot rachna bahut pasand aai.badhaai aapko.Shalendra ji.

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on March 23, 2012 at 2:46pm

महिमा जी भावाभियक्ति को सराहने के लिए हृदय से आपको कोटि कोटि धन्यवाद

Comment by MAHIMA SHREE on March 23, 2012 at 2:39pm
नमस्कार मृदु जी...
क्या बात है..... एक तरफ़ा प्रेम की गहराई और प्रेमी के ह्रदय की पीड़ा....का बहुत ही सहजता के साथ वर्णन ....बधाई आपको ...
Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on March 23, 2012 at 2:23pm

हरीश सर सादर नमन रचना पसंद करने के लिए ह्रदय से आभार

Comment by Harish Bhatt on March 23, 2012 at 2:20pm
शैलेंद्र जी नमस्‍कार........ सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। लाजवाब गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
19 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Dr. Ashok Goyal's blog post ग़ज़ल :- बह्र ए रमल मुसद्दस सालिम
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। सुन्दर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
24 minutes ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
""ओबीओ लाइव तरही मुशाइर:" अंक-155 को सफल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों और पाठकों का हार्दिक…"
18 hours ago
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"जनाब मो० अनीस अरमान जी, ग़ज़ल पर आपकी दाद मिली, इसके लिए आपका दिली शुक्रगुजार हूं।"
18 hours ago
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"आदरणीया रचना भाटिया जी, सादर नमस्कार। ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति एवं हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया।"
18 hours ago
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"आदरणीय अजय कुमार जी, सादर नमस्कार। आपका हार्दिक धन्यवाद।"
18 hours ago
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"आदरणीय दंडपाणि जी, सादर नमस्कार। आ० समर कबीर जी की बात से सहमत हूं। ऐसा लगता है आपने जल्दबाजी में…"
18 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"आदरणीय Ravi Shukla साहिब आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें। //आपके पास है…"
18 hours ago
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"जनाब मो० अनीस अरमान साहब, आदाब। तरही मिसरे पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है। मुशायरे में शिरकत के…"
18 hours ago
dandpani nahak replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"जी बहुत-बहुत शुक्रिया परम आदरणीय "
18 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"धन्यवाद जतिन जी"
18 hours ago
नाथ सोनांचली replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"आद0 शिज्जु शकूर साहब सादर अभिवादन। अच्छी ग़ज़ल कही आपने। बधाई स्वीकार कीजिये"
18 hours ago

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service