For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक सुबह ना जाने क्या हुआ
ऐसा लगा की सुबह तो रोज़ होती है ,

पर आज अलग कुछ बात है
इन हवाओं में घुली है शरारत,

जैसे इन्होने छोड़ी है शराफ़त
ज़रूर कोई छुपा हुआ राज़ है
निकला जो घर से , तो देखा फूलों को मुस्कुराते हुए
गुलाब तो रोज़ होते थे आँगन में,

पर अब इस मौसम मे कोई गुलाबी सा एहसास है
सूरज तो आज भी था

लेकिन फिर भी कल रात के चाँद की शीतलता सी मौजूद थी वातावरण मे
धीरे धीरे एहसास हुआ

कि आज मुस्कुराने को जी चाह रहा है
किसी के लौट के आने का एहसास ,

मन के प्रांगण को विलासित कर रहा है
इस भोर में फैला हे विभोर

जो जग को उर्जावान बना रहा है
घर से जो निकला कुछ दूर तो ठिठुरन सी होने लगी
कल तक जो सड़क थी, घने वन सी लगने लगी
नज़र गई एक वृक्ष के तने पर ,

दूर देश से कोई पंछी आया मेहमान बनकर
ओझल सी दिखने लगी उस पार की चाय की गुमटी,

ऐसा लग रहा था जैसे बादल भूल कर् नभ का रास्ता
, आ गये हो धरती पर
जैसे ही मैने चाय का प्याला हाथ मे लिया ,

होठों से पहला घूँट जो पिया ,
इस चाय मे एक अलग ही बात थी,
जैसे ढोलक की ताल पे वो राग-मल्हार थी
जैसे-जैसे दिन चढ़ा,

वैसे-वैसे उसका नशा और बढ़ता गया
निशा में एक चाँदनी थी और एक वो थी
दोनो का शबाब सर चढ़ के बोल रहा था
इस नशे ने ऐसा पागल किया 

कि बिन साज़ के गीत गूंजने लगे ,

बिन फूलों के सब महकने लगे
अब हमसे भी रहा ना गया ,

थमा रज़ाई का दामन,

और फिर ख्वाबों को नींदों में छिपा लिया |
कुछ ऐसा था सर्दी का आगाज़ ||










Views: 431

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 9, 2012 at 4:04pm

mujhko thand lag rahi hai, ek pyala chye ho jaye. 

Comment by Abhinav Arun on December 17, 2011 at 8:15pm

सर्दी के आगाज़ का बहुत सुन्दर चित्र खींचा है रोहित जी हार्दिक बधाई !! कविता एक सकारात्मक भाव लिए हुए है उसे नमन है |

आपकी भाषा और शब्द चयन शिल्प सबकुछ बहुत सशक्त है लिखते रहिये - ये पंक्तियाँ -

मन के प्रांगण को विलासित कर रहा है
इस भोर में फैला हे विभोर

मन को भा गयीं हार्दिक बधाई !!

Comment by Rohit Dubey "योद्धा " on December 14, 2011 at 12:24pm
Plz comment

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
19 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Jul 29
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service