For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

देखें हैं हमने नज़ारे कई , शरारे कही  तो बहारें कई ,

लिखी-पढ़ी  है खूबसूरती की कई परिभाषाएं 
कही-सुनी है इबादत ए हुस्न की कई कवितायेँ 
लेकिन आज एक नयी बात कह रहा हूँ 
दिल की धडकनों की जुबान बन रहा हूँ
सोचता था हुस्न की तारीफ करूँ लेकिन, उसकी आँखों ने ही रोक लिया  मुझे 
उसकी आँखों को जब पहली बार देखा तो एक मुस्कराहट उनमे बिखरी थी 
शर्मो हया और तहज़ीब की कलि उनमे खिली थी 
धुप की रौशनी में जब उसकी ऑंखें मेरी और मुड़ी
थम सा गया था यह समां एक पल , ऐसी थी वोह घडी  
ऐसा लगा जैसे मेरे दिल की तरंगें  उसकी तरंगों से जाकर जुडी 
जब मुस्कुराकर उसने होठों  से कुछ कहा 
ऐसा लगा जैसे कई मोर पंखों ने मेरे कानों को छुआ 
वो  दो शब्द नहीं थे , मेरे लिए थी रब की थी दुआ  
ऐसा लगा जैसे उसे रब ने मेरे ही लिए चुना 
पहली मुलाकात का ही ऐसा यह असर था 
 पहला नशा था ऐसा की हर नशा बेअसर था 
 आगे बढ़ा  बातों  का सिलसिला फिर 
नज़रों  की अदला बदली शुरू हुई फिर 
एक बात नयी थी उसकी निगाहों में आज 
मुझे देख के रुक सी जाया करती थी 
मेरे लिए एक अलग ही चमक थी उनमे 
जो बातों  के साथ और रोशन होती थी 
वोह पंखुड़ी से होठों से जो मुस्कान उसके चेहरे पे आकार रूकती थी
उनमे मैं  हजारों गुलाबों को महसूस करने लगा 
वोह मासूमियत भरा उसका चेहरा जो कलियों को मुरझा दे ,
मुझे देख न जाने क्यों दमकने लगा 
उसकी बातों में अपनापन महसूस होने लगा 
न जाने में क्यों उसके करीब आने लगा , 
सालों से जो तनहा था ,न जाने क्यों उसे पाने लगा 
बातों ही बातों में न जाने कब दिल रेत सा हाथ से फिसल गया  
उससे बातें करना न जाने कब मेरी आदत बन गई
साथ  में जब एक दिन ख़ुशी थी , उससे जुदाई का ग़म उस ख़ुशी पर भरी पढ़ गया 
उससे कुछ पल जुदा होने पर न जाने क्यों जान सी जाने लगी 
सपनो में रात दिन वोह आने लगी
मिलना तो  है हमें बहुत जल्द लेकिन यह दिल न थम जाये उनसे मिलकर...................
  

Views: 383

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 6, 2012 at 10:33am
बहुत सुन्दर कोमलतम एहसासों को  शब्द दिए हैं आपने रोहित..
पर ज़िंदगी में सब कुछ रेत की तरह हमेशा ही हाथों से फिसल जाता है,
हम यहाँ (दुनिया में) कुछ पकड़ कर रखने और रुक जाने को नहीं आये हैं, बस अनुभव करने और आगे बढ जाने को आये हैं.
आपका सतत लेखन प्रयास आपकी लेखनी को अवश्य निखरेगा.
इस खूबसूरत भाव सम्प्रेषण पर हार्दिक बधाई.
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 9, 2012 at 4:02pm

sama bandh diya aapne. badhai.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सम्माननीय ऋचा जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल तकआने व हौसला बढ़ाने हेतु शुक्रियः।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"//मशाल शब्द के प्रयोग को लेकर आश्वस्त नहीं हूँ। इसे आपने 121 के वज्न में बांधा है। जहाँ तक मैं…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है हर शेर क़ाबिले तारीफ़ है गिरह ख़ूब हुई सादर"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. भाई महेन्द्र जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई। गुणीजनो की सलाह से यह और…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, बेह्तरीन ग़ज़ल से आग़ाज़ किया है, सादर बधाई आपको आखिरी शे'र में…"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा जी बहुत धन्यवाद"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी, आपकी बहुमूल्य राय का स्वागत है। 5 में प्रकाश की नहीं बल्कि उष्मा की बात है। दोनों…"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी। आप की मूल्यवान राय का स्वागत है।  2 मय और निश्तर पीड़ित हृदय के पुराने उपचार…"
7 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय महेंद्र कुमार जी नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
7 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service