For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सामयिक गीत: आज़ादी की साल-गिरह / संजीव 'सलिल'

सामयिक गीत:

आज़ादी की साल-गिरह

संजीव 'सलिल'
*
*
आयी, आकर चली गयी
आज़ादी की साल-गिरह....
*
चमक-दमक, उल्लास-खुशी,
कुछ चेहरों पर तनिक दिखी.
सत्ता-पद-धनवालों की-
किस्मत किसने कहो लिखी?
आम आदमी पूछ रहा
क्या उसकी है कहीं जगह?
आयी, आकर चली गयी
आज़ादी की साल-गिरह....
*
'पट्टी बाँधे आँखों पर,
अंधा तौल रहा है न्याय.
संसद धृतराष्ट्री दरबार
कौरव मिल करते अन्याय.
दु:शासन शासनकर्ता
क्यों?, क्या इसकी कहो वज़ह?
आयी, आकर चली गयी
आज़ादी की साल-गिरह....
*
उच्छ्रंखलता बना स्वभाव.
अनुशासन का हुआ अभाव.
सही-गलत का भूले फर्क-
केर-बेर का विषम निभाव.
दगा देश के साथ करें-
कहते सच को मिली फतह.
आयी, आकर चली गयी
आज़ादी की साल-गिरह....
*
निज भाषा को त्याग रहे,
पर-भाषा अनुराग रहे.
परंपरा के ईंधन सँग
अधुनातनता आग दहे.
नागफनी की फसलों सँग-
कहें कमल से: 'जा खुश रह.'
आयी, आकर चली गयी
आज़ादी की साल-गिरह....
*
संस्कार को भूल रहें.
मर्यादा को तोड़ बहें.
अपनों को, अपनेपन को,
सिक्कों खातिर छोड़ रहें.
श्रम-निष्ठा के शाहों को
सुख-पैदल मिल देते शह.
आयी, आकर चली गयी
आज़ादी की साल-गिरह....
*
दिव्यनर्मदा.ब्लॉगस्पोट.कॉम

Views: 416

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 18, 2010 at 5:48pm
’पाती बाँधे आँखों पर’ की ’पाती’ ’पट्टी’ है न?

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 18, 2010 at 5:46pm
अब शिल्प पर मैं क्या कहूँ, या कहूँ प्रवाह पर? जो है वह सीखने के लिए है.
एक इशारा:
’आम आदमी पूछ रहा
क्या उसकी है जगह कहीं?’ में ’क्या उसकी है कहीं जगह’ होतो और उचित नहीं होगा?
’पाती’ शब्द ’प्ट्टी’ है क्या? मुझे लगा कि यह टाइपो है, सो, कह रहा हूँ.

और मैं मुग्ध हूँ इन पंक्तियों पर -
नागफनी की फसलों सँग-
कहें कमल से: 'जा खुश रह.'
वाह, वाह!
Comment by आशीष यादव on August 18, 2010 at 3:47pm
aaj ke samaaj ka darshan karaati yah geet.
kya ho raha hai hakikat samjhaati yah geet.
is samaaj ke thekedaar hai bhati bhati ke, tarah tarah,
aayi aakar chali gayi aazaadi ki saal-girah

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on August 17, 2010 at 10:56pm
बहुत सुन्दर गीत, सामायिक भी सटीक भी

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 17, 2010 at 9:07pm
एक बार पुन: मस्तिष्क को झंकृत कर देने वाली रचना, बहुत सुंदर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
16 hours ago
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर   होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर । उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service