For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - गुरप्रीत सिंह जम्मू

(22- 22- 22- 22)

जिसको हासिल तेरी सोहबत
क्यों चाहेगा कोई जन्नत

ऐ पत्थर तुझ में ये नज़ाकत
हां वो इक तितली की निस्बत

आप ने आंख से आंख मिलाकर
भर दी हर मंज़र में रंगत

दिल धक-धक करने से हटे तो
खोल के पढ़ लूँ मैं उनका ख़त

उसके हुस्न पे हैरां हूँ मैं
रोज ही बढ़ती जाए हैरत

मैं बिकने वालों में नहीं हूँ
यूँ तुमने कम आंकी कीमत

उसको पाना ही पाना है
कैसा मुकद्दर कौन सी किस्मत

दिल का शीशा टूट गया ना!
और करो पत्थर से मुहब्बत

कब तक करवाओगे 'जम्मू'
टूटे फूटे दिल की मुरम्मत

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 162

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Gurpreet Singh jammu on February 13, 2023 at 3:29pm

आपका बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय निलेश सर जी कि आपने ग़ज़ल की कमियां बताइं और उन्हें दूर करने के लिए बहुत अच्छे सुझाव भी दिए। इस मंच पर रचना डालने का मुख्य मकसद यही होता है कि रचना की खामियां पता चलें और रचना में सुधार हो। जिन दो शेर के बारे में आप ने बात की है, उन्ही पर मैं अटका था। हैरान हूं आपको कैसे पता चला। बाकी शेरों में भी देखता हूं क्या सुधार हो सकता है। रचना पर आने और अपनी कीमती टिप्पणी देने के लिए बहुत धन्यवाद सर जी।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on February 13, 2023 at 2:49pm

आ. गुरप्रीत जी,

बिना लाग लपेट के कहूँ तो कई मिसरे पूरे पकने से पहले तोड़ लिए गए लगते हैं.. 
.
हर दिन बढ़ती जाए हैरत..
.
मैं कब बिकने वालों में था 
तुमने भी कम आंकी कीमत
.
ऐसे बहुत से छोटे बदलाव मिसरों को अधिक ज़िन्दा बना देंगे,,
सोचियेगा 

Comment by Gurpreet Singh jammu on February 9, 2023 at 6:49am

जी, बहुत शुक्रिया आदरणीय समर सर जी

Comment by Samar kabeer on February 8, 2023 at 7:01pm

जनाब गुरप्रीत सिंह जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।

टंकण त्रुटियाँ देख लें ।

Comment by Gurpreet Singh jammu on February 1, 2023 at 3:26pm

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 30, 2023 at 6:34am

आ. भाई गुरप्रीत जी, सादर अभिवादन। बहुत सुन्दर गजल हुई है। बहुत बहुत हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

मनोरमा जैन पाखी left a comment for मनोरमा जैन पाखी
"धन्यवाद आद. योगराज प्रभाकर सर जी"
4 hours ago
मनोरमा जैन पाखी updated their profile
4 hours ago
Manoj Misran is now a member of Open Books Online
14 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"बहतर है शुक्रिया आपका अमित जी सादर"
22 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय Mahendra Kumar जी  1. मतला ग़ज़ल का पहला शे'र और सबसे अह्म हिस्सा होता है। उसे…"
22 hours ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
""ओबीओ लाइव तरही मुशाइर:" अंक-153 को सफल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों और पाठकों का हार्दिक…"
22 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
" जी ठीक है हमको फ़ुर्सत ही नहीं कार-ए-जहाँ से जानाँ "आपके मिलने का होगा जिसे अरमाँ…"
22 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय अमित जी एक और प्रयास देखिएगा सादर हमको फ़ुर्सत ही नहीं कार-ए-जहाँ से मिलती "आपके मिलने…"
22 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय महेंद्र जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
22 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय अजय जी। सादर।"
yesterday
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत-बहुत शुक्रिया। संज्ञान ले लिया गया है। सादर।"
yesterday
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"बहुत-बहुत शुक्रिया सर। अगली बार पूरा प्रयास रहेगा कि निराश न करूँ। सादर।"
yesterday

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service