For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल: आख़िरश वो जिसकी खातिर सर गया

2122 2122 212

आख़िरश वो जिसकी ख़ातिर सर गया

इश्क़ था सो बे वफ़ाई कर गया

आरज़ू-ए-इश्क़ दिल में रह गई

जुस्तजू-ए-इश्क़ से दिल भर गया

दिल की दुनिया दर्द का बाजार है

दर-ब-दर कहते हुए मुज़्तर गया

हर दफ़ा सोचा की नजरें फेर लूँ

हर दफ़ा सज़दे में तेरे सर गया

भूलने की कोशिशें की थीं मगर

जो मिला वो ज़िक्र तेरा कर गया

ज़िंदगी भी आख़िरश तंहाई है

मैं भला तंहाई से क्यों डर गया

मैंने तेरी याद में ही काट दी

लौटना था पर न अपने घर गया

अब मगर दिल में कोई जुम्बिश नहीं

इतनी ख़ामोशी की जैसे मर गया

मौलिक व अप्रकाशित

आज़ी तमाम

Views: 479

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Aazi Tamaam on January 23, 2022 at 11:17am

सहृदय शुक्रिया आदरणीय नीलेश जी

मैंने ' में ' पर इतना गौर नहीं किया था

आपका तहे दिल से शुक्रिया जी मैं आपसे सहमत हूँ में भर्ती का हो रहा है

बदलने का प्रयास करता हूँ

सादर

Comment by Nilesh Shevgaonkar on January 23, 2022 at 9:21am

आ. आज़ी भाई,
आख़िरश का अर्थ ही अंतत: हुआ ..फिर इस में //में// का क्या काम .

ग़ज़ल के लिए बधाई 

Comment by Aazi Tamaam on January 18, 2022 at 1:35am

सहृदय शुक्रिया आ ब्रज जी सब आप लोगों का मार्गदर्शन है

सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 17, 2022 at 11:07pm

वाह बड़ी ही अच्छी ग़ज़ल कही भाई आजी...बधाई

Comment by Aazi Tamaam on January 16, 2022 at 5:28am

बहुत बहुत शुक्रिया आ अमीर जी ग़ज़ल तक आने व हौसला अफ़ज़ाई करने के लिये

सादर

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 13, 2022 at 4:53pm

जनाब आज़ी तमाम साहिब आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है, मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएं।

"भूलने की कोशिशें की थीं मगर

जो मिला वो ज़िक्र तेरा कर गया" वाह... बहुत ख़ूब।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"समय _____ "बिना हाथ पाँव धोये अन्दर मत आना। पानी साबुन सब रखा है बाहर और फिर नहा…"
6 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक स्वागत मुहतरम जनाब दयाराम मेठानी साहिब। विषयांतर्गत बढ़िया उम्दा और भावपूर्ण प्रेरक रचना।…"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
" जय/पराजय कालेज के वार्षिकोत्सव के अवसर पर अनेक खेलकूद प्रतियोगिताओं एवं साहित्यिक…"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हाइमन कमीशन (लघुकथा) : रात का समय था। हर रोज़ की तरह प्रतिज्ञा अपने कमरे की एक दीवार के…"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आदरणीय विभारानी श्रीवास्तव जी। विषयांतर्गत बढ़िया समसामयिक रचना।"
5 hours ago
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123विषय : जय/पराजय आषाढ़ का एक दिन “बुधौल लाने के…"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आपकी रचना का। प्रदत्त विषयांतर्गत बेहद भावपूर्ण और विचारोत्तेजक कथानक व कथ्य…"
13 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
yesterday
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सुन, ससुराल में किसी से दब के रहने की कोई ज़रूरत नहीं है। अरे भाई, हमने कोई फ्री में सादी थोड़ी की…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service