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इस को जरूरी रात में कोई जगा रहे-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१/२१२१/१२२१/२१२

चाहत नहीं कि सब से ही मिलती दुआ रहे
केवल जगत  में  शौक  से  नेकी  बचा रहे।१।
*
हम को कहो  न  आप  गुनाहों का देवता
पापों की गठरी आप की हम ही जला रहे।२।
*
चाहत सभी को नींद जो आये सुकून की
इस को  जरूरी  रात  में  कोई  जगा रहे।३।
*
माना बुरे हैं  दाग  भी हमको लगे हैं पर
वो ही उठाये उँगली जो केवल भला रहे।४।
*
अपनी ही आखें बन्द हैं मानो ये साथियो
अच्छे दिनों को खूब वो कब से दिखा रहे।५।
*
झगड़ा न करके शांति से रहना नसीब हो
ईश्वर हमारा  आप  का  जग में  ख़ुदा रहे।६।


मौलिक अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

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Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 2, 2021 at 6:34pm

आ. भाई समर जी, पुनः उपस्थिति व मार्गदर्शन के लिए आभार।

Comment by Samar kabeer on July 2, 2021 at 2:25pm

'केवल समझ के फर्ज ही नेकी बचा रहे'

इस मिसरे को उचित लगे तो यूँ कहें:-

'बस नेकियों का अपनी अमल ये बचा रहे'

'पर चौकसी को रात में कोई जगा रहे'

इस मिसरे में 'जगा' शब्द उचित नहीं,उचित लगे तो इस मिसरे को यूँ कहें:-

'तो चौकसी को शब में कोई जागता रहे'

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 30, 2021 at 4:52pm

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए धन्यवाद । इंगित मिसरों को सुधारने का प्रयास किया है । देखियेगा....

/केवल समझ के फर्ज ही नेकी बचा रहे

/

पर चौकसी को रात में कोई जगा रहे

Comment by Samar kabeer on June 21, 2021 at 3:15pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

केवल जगत  में  शौक  से  नेकी  बचा रहे'

ये मिसरा मेरी समझ में नहीं आया ।

'इस को  जरूरी  रात  में  कोई  जगा रहे'

इस मिसरे का शिल्प भी मेरी समझ में नहीं आया ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 16, 2021 at 3:29pm

आ. भाई आजी तमाम जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थित व उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 16, 2021 at 3:29pm

आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थित व उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।

Comment by Aazi Tamaam on June 16, 2021 at 10:22am

सादर प्रणाम धामी सर खूबसूरत ग़ज़ल हुई है

सहृदय बधाई

Comment by Nilesh Shevgaonkar on June 16, 2021 at 9:39am

आ. लक्ष्मण जी.
ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है.
बधाई 

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