वाहन मुख्य सड़क से उस गांव की सड़क पर आ गया, जिसे सर्वेक्षण के लिए चुना गया था।सारे राज में सरकार द्वारा लोगों को प्रदान की जाने वाली सरकारी सेवाओं के बारे में सर्वेक्षण किया जा रहा था।
सर्वेक्षण फॉर्म में प्रश्न थे, क्या आपके गाँव में इस फॉर्म पर लिखी गई सेवाएँ उपलब्ध हैं? क्या ये सभी सेवाएं लोगों को मिलती हैं या नहीं, यदि नहीं मिलती , तो आपको क्या लगता है कि इन के क्या कारण हो सकते हैं ?
मैं आधिकारिक दौरे पर पहली बार इस गांव में आया था l
गांव की बाहरी सड़क से होते हुए,हमारा वाहन एक सरकारी संस्था के सामने रुका, मैं अपनी कार से बाहर आया और टीम के सदस्य दूसरे वाहन से बाहर आए l
संस्था के कर्मचारियों ने भी बाहर आकर हमारा स्वागत किया।
चाहे ये संस्था सरकार द्वारा संचालित की जा रही थी, और ये गाँव के बड़े गुरुद्वारे के दो कमरों में से संचालित हो रहा थीl
टीम के इक मैंबर ने मेरे पास आ कर कहा कि कुछ समय के बाद, टीमें घरों से जानकारी प्राप्त कर लौट आएँगीl
"सर जी, मेरी बुआ जी यहाँ रहती हैं। उनकी बड़ी बैठक मैंने उनसे बता दिया है कि मेरे साहिब और चार पाँच और लोग आ रहे हैं ।"उनके घर बैठने की जगह भी बहुत है l आप वहाँ आराम कर लेना जी l सभी लोग उनके घर पर ही दोपहर का भोजन करेंगे l उस टीम के मैंबर ने इक बार फिर मुझे कहा
वैसे, तो बचपन में कई बार मैं इस गाँव में आया था l
लेकिन इस का अभी तक किसी को पता नहीं चला था, सभी यही सोच रहे थे कि जैसे मैं पहली बार इस गाँव में आया हूँ , और इस के बारे में कुछ भी न जानता हूँ ?
इससे पहले कि मैं कुछ सोच पाता, मैंने जाने को मना कर दिया, फिर सोचा, क्या मुझे अपने इनकार करने का कारण तो बताना चाहिए ?
मगर क्यूँ, मुझे ये बताने की क्या ज़रूरत है, जब मैं साहिब हूँ, तो जो कह दिया तो कह दियाl
मेरी बुआ भी तो इसी गाँव के दूसरे मुहल्ले में है, बचपन मैं कई बार यहाँ आ कर रहा हूँ l
लेकिन मेरी बुआ का घर तो ....... ? ”मैं सोचने लगा।
तब खुद से कहा, "अगर वह इन सबको अपनी बुआ के घर नहीं ले कर जा सकता, तो फिर क्यूँ मैं उनके घर जा कर भोजन करूँ?
मैं अंदर ही अंदर खुद से लड़ रहा था,
मैं उनके घर खाना नहीं खाऊंगा ,ये फैसला मन कर चूका था l अगर मैं खाना खाऊँगा तो अपनी बुआ के घर से l
ये खुद से कहते हुए मैंने सभी को इशारा करते हुए कहा, "तुम खाना खाओ,मैं नहीं........l
"क्या हुआ? मेरी बुआ के घर जाने के लिए अभी तंग गली पक्की नहीं है,घर का यार्ड खुला नहीं है, बिठाने के लिए अच्छी बैठक भी नहीं हैl
हो सकता है, बुआ के पास खाने पिलाने के लिए भी न हों, लेकिन बुआ का घर तो है। मैंने ड्राइवर को कार स्टार्ट करने के लिए कहा और कार बुआ के घर की तरफ़ ली।
.
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीय मोहन जी लघु कथा के हिसाब से विवरण कुछ ज्यादा लग रहा मुझे...रचना शुरुआत में संस्मरण का आभाष देती है...सादर
जनाब मोहन बेगोवाल जी आदाब, लघुकथा का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online