हिंदी हमारी मातृभाषा, हिंदी जीवन का आधार ।
हिंदी की महिमा को गाते,करते हम इसका प्रचार ।।
हिंदी के बिना जीवन सूना,हिंदी देती सबको ज्ञान ।
मन के भाव प्रकट हों सारे, पूरे करती ये अरमान ।
मातृभाषा की महिमा देखो, सुनकर होता है अभिमान ।
कोर्ट कचहरी दफ्तर सारे, बाबू कलेक्टर चौकीदार ।
हिंदी की महिमा........................................... ।
माँस से नाखून दूर ना जाएँ, कौए चलें ना हंस की चाल ।
हिंदी के सब रंग में रंग लो, अपनी किश्ती अपने पाल ।
हिंदी दिवस मने हमेशा, चौदह सितंबर को हर साल ।
युगों युगों से बहती आई, हिंदी तेरी मीठी धार ।
हिंदी की महिमा......................................... ।
चाचा ताऊ मामा फूफा, हिंदी में रिश्ते हैं हजार ।
मात पिता बने मोम डेड अब, अंकल आंटी रिस्तेदार ।
हिंदी को तौहीन मानते, अंगरेजी फर्राटेदार।
भगवान करें धरती अम्बर में, हिंदी की हो जय जयकार।
हिंदी की महिमा............................................. ।
सदियों से मैं सहती आई, जुल्म सितम और अत्याचार ।
राजभाषा और राष्ट्रभाषा, भूले क्या तुम वो इकरार ।
आजादी को मिले हो गए, बरस तिहत्तर से भी पार ।
शर्म करो हे ओहदेदारो, आज भी मैं क्यों हूँ लाचार ।
हिंदी की महिमा.............................................. ।
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आ. भाई सुरेश कल्याण जी, सादर अभिवादन । हिन्दी दिवस पर सुन्दर रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।
आदरणीय समर कबीर साहब सादर आभार, आपकी राय सर्वदा उचित ही होती हैं ।
जनाब सुरेश कुमार कल्याण जी आदाब, हिन्दी दिवस पर बहुत सुंदर रचना हुई है,बधाई स्वीकार करें ।
जहाँ तक मेरी जानकारी है 'हिंदी' को "हिन्दी" लिखना उचित होता है ?
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