For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बोलो मैं कैसे बिकता

एक गजल तेरे होठों पर लिख सकता था
इसकी टपक रही लाली पर बिक सकता था

किंतु सामने जब शहीद की पीर पुकारे
जान वतन पर देने वाला वीर पुकारे
जिसने भाई, लाल, कंत कुर्बान किये हों
सूख चुकी उनकी आँखों का नीर पुकारे

कैसे उन क़ातिल मुस्कानों पर बिकता
कैसे कोमल नाजुक होठों पर लिखता


एक गजल तेरी आँखों पर लिख सकता था
चंचल चितवन सी कमान पर बिक सकता था

पर कौरव-पांडव दल आँखें मींच रहा हो
चीर दुःशासन द्रुपद-सुता की खीँच रहा हो
हाथ जोड़ कर कहीं दामिनी बिलख रही हो
और दरिंदा वहशी उसको भींच रहा हो 

तब बोलो कैसे आलिंगन पर बिकता
कैसे काजल वाली आँखों पर लिखता


एक गजल तेरे गालों पर लिख सकता था
हुस्न नजाकत नाज अदा पर बिक सकता था

किन्तु जहाँ नेता जनता को भरमाते हों
धर्मों का धंधा करने वाले भाते हों
सबके पेटों को भरने वाले जब खुद ही
घुटने डाल पेट में भूखे सो जाते हों

तुम बोलो मैं कैसे चुम्बन पर बिकता
कैसे डिम्पल वाले गालों पर लिखता


एक गजल तेरी चालों पर लिख सकता था
लटकन मटकन झटकन पर भी बिक सकता था

किन्तु जहाँ हलकू वादों पर ही जीता हो
आज तलक भी झूरी का दामन रीता हो
झूठे सत्ता की सीढ़ी चढ़ते जाते हों
सच्चा घूँट ज़हालत के कड़वे पीता हो

कैसे मदहोशी के स्पर्शों पर बिकता
कैसे हिरनी वाली चालों पर लिखता

आशीष यादव

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 579

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by आशीष यादव on September 10, 2020 at 9:48pm

आदरणीय उस्ताद समर कबीर साहेब, आपको यह रचना अच्छी लगी तो मेरा लेखन सफल हो गया। हौसला बढ़ाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। 

Comment by Samar kabeer on September 10, 2020 at 3:41pm

जनाब आशीष यादव जी आदाब, अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by आशीष यादव on September 10, 2020 at 2:48am

आदरणीय श्री   Harash Mahajan  सर हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत धन्यवाद

Comment by Harash Mahajan on September 8, 2020 at 11:55pm

वाह आ0 आशीष यादव जी बहुत सुुंदर रचना ।

सादर ।

Comment by आशीष यादव on September 8, 2020 at 3:45pm

आदरणीया डिम्पल शर्मा जी हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by आशीष यादव on September 8, 2020 at 3:44pm

आदरणीय श्री अमीरुद्दीन अमीर साहब हौसला अफजाई के बहुत बहुत धन्यवाद

Comment by Dimple Sharma on September 7, 2020 at 4:48pm

आदरणीय आशीष यादव जी नमस्ते, बहुत खुबसूरत रचना हुई है बधाई स्वीकार करें आदरणीय।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 7, 2020 at 1:16pm

जनाब आशीष यादव जी आदाब, शानदार कविता की रचना हुई है, दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ। सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
8 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति से प्रसन्नता हुई। हार्दिक आभार। विस्तार से दोष…"
Friday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Mar 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Mar 2
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Mar 1
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Feb 28

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service