For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शिक्षक है एक कुम्भकार और शिल्पकार 

हम गीली मिट्टी देता हमे वो आकार

उसने ही अच्छे बुरे का ज्ञान करवाया

जीवन रूपी भंवर में कैसे है  तैरना  

ये मेरे गुरु ने मुझे सिखलाया

जैसे नदी में एक नाव माझी बिना 

वैसे ही अज्ञानी हम शिक्षक बिना 

जिंदगी में उसने हमें सही मुक़ाम पर पहुंचाया

जीवन रूपी भंवर में कैसे है तैरना  

ये मेरे गुरु ने मुझे सिखलाया 

उसने कभी कुछ नहीं हमसे माँगा 

आगे बढ़ता देख हमें वो फूला न समाया     

गलती करने पर हमे थप्पड़ भी लगाया 

जीवन रूपी भंवर में कैसे है तैरना 

ये मेरे गुरु ने मुझे सिखलाया

उसने ही राम मोहन राय विवेकानंद बनाए 

अब्दुल कलाम जैसे हीरे यहां उपजाए 

उसने ही पग पग हर बुराई से बचाया 

जीवन रूपी भंवर में कैसे है तैरना 

ये मेरे गुरु ने मुझे सिखलाया  

प्रथम गुरु माँ मेरी और मेरे गुरु हैं बहुतरे 

पिता पुत्र पति भाई बहन और मित्रगण मेरे

सब ने कुछ न कुछ मुझे सिखलाया 

जीवन रूपी भंवर में कैसे है तैरना 

ये मेरे गुरु  ने मुझे सिखलाया

जब भी पथ में मैं घबराया 

उसने ज्ञान प्रकाश फैलाया 

जीवन पथ पर सबल बनाया 

जीवन रूपी भंवर में कैसे है तैरना 

ये मेरे गुरु ने मुझे सिखलाया 

 

मौलिक व अप्रकाशित 

      

           . 

Views: 661

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Madhu Passi 'महक' on September 12, 2020 at 11:07am

आदरणीय आशीष यादव जी रचना पसंद आने के लिए बहुत बहुत आभार महोदय! 

Comment by आशीष यादव on September 10, 2020 at 10:42pm

गुरू को मान देती एक अच्छी रचना का प्रयास। बधाई स्वीकार कीजिये। 

Comment by Madhu Passi 'महक' on September 8, 2020 at 12:43pm

आदरणीया डिम्पल शर्मा जी सादर नमस्कार! रचना पर आपकी उपस्थिति और प्रोत्साहन के लिए आपका बहुत बहुत आभार। 

Comment by Madhu Passi 'महक' on September 8, 2020 at 12:36pm

समर कबीर जी आदाब! आपकी हौंसला अफ़ज़ाई के लिए तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।

Comment by Samar kabeer on September 7, 2020 at 7:54pm

मुहतरमा मधु जी आदाब, अच्छी रचना हुई है ,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Dimple Sharma on September 6, 2020 at 2:56pm

आदरणीया मधु जी नमस्ते, खुबसूरत रचना पर बधाई स्वीकार करें आदरणीया।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
14 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service