For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दो चार रंग छाँव के हमने बचा लिए - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१/२१२१/१२२१/२१२
टूटे जो डाल से वही पत्ते उठा लिए
दीवार घर की सूनी थी उस पर सजा लिए।१।
**
वैसे खिले थे फूल भी किस्मत से तो बहुत
हमने ही अपनी राह में काँटे बिछा लिए।२।
**
नश्तर थे सब के हाथ में आये कुरेदने
आया था कौन घाव की बोलो दवा लिए।३।
**
कहने को धूप राह में तीखी तो थी मगर
दो चार रंग छाँव के हमने बचा लिए।४।
**
जैसे फिरे थे आपकी गलियों में हम कभी
फिरता रहा है कौन यूँ अपना पता लिए।५।
**
ये कर्ज किससे यूँ भला यारो उतरता है
हर हाल माँ के हाथ जो उट्ठे दुआ लिए।६।
*
मौलिक-अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 994

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 1, 2023 at 6:11am

आ. भाई आशीष जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार।

Comment by आशीष यादव on August 26, 2020 at 12:47am

एक बढ़िया ग़ज़ल पर बधाई स्वीकार कीजिए।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 20, 2020 at 4:13am

आ. डिम्पल जी, सादर अभिवादन एवं आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 20, 2020 at 4:13am

आ. भाई समर कबीर जी, सादर अभिवादन । गजल पर आपकी उपस्थिति व सराहना पा लेखन सफल हुआ । हार्दिक आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 20, 2020 at 4:10am

आ. भाई बृजेश कुमार जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति व सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 20, 2020 at 4:07am

आ. भाई रवि भसीन जी, सादर अभिवादन । आपको गजल अच्छी लगी , लेखन सफल हुआ । स्नेह के लिए आभार ।

Comment by Dimple Sharma on August 19, 2020 at 10:08pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी'मुसाफिर'जी नमस्ते, खुबसूरत ग़ज़ल पर बधाई स्वीकार करें।

Comment by Samar kabeer on August 19, 2020 at 8:18pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 19, 2020 at 5:28pm

बढ़िया ग़ज़ल कही आदरणीय धामी जी..सादर

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on August 19, 2020 at 2:01pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' भाई, बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही है आपने, इस पर दाद और मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएँ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
15 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
15 hours ago
Tilak Raj Kapoor updated their profile
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
16 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
16 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service