सोनी अब क्या करेगी? नेवला तो उसके सांपों को खाता जा रहा है।' चुनचुन ने मुनमुन चिड़िया से पूछा।
' खायेगा ही,खाता जाएगा।' मुनमुन बोली।
' फिर? अब तो सोनी के द्वारा पंछियों के नुचवाये पंख भी उगने लगे हैं।' चुन चुन बोली।
' उगेंगे। नई पौध भी पनप रही है,लाल टेस अंखुओं वाली।' मुनमुन बोली।
' वो तो है,मुनमुन।पर इस सोनी का क्या करें?आए दिन इसके हंगामे बढ़ रहे हैं;कभी हंसों पर वार,तो कभी कौवों पर।बस गिरगिट पिछलग्गू बने हुए हैं।' चुन चुन चिढ़ कर बोली।
' लंबी पारी है, चुन चुन।कुछ भी हो सकता है।'
' मसलन?' चुन चुन चिंचिआई।
' उसे हार नहीं हज़म होती। कुछ भी कर सकती है।' मुन मुन मद्धिम आवाज में फुसफुसाई।
' कुछ भी,मतलब?'
' मतलब कुर्बानी, जान की।' मुनमुन बोली।
' किसकी,कैसी....कुर्बानी?' चुन चुन चकराने लगी।
' देखा है न कि कैसे कभी उसकी मां शहीद की गई,तो कभी उसका चिड़ा।पूरी चिड़िया - मंडली उसके पीछे खड़ी मिली।वह मनमानी करती रही,लूट मची रही।' मुनमुन उसे नेपथ्य में ले गई।
' हां मुनमुन,याद है। याद हैं वो काले दिन,सुलगती रातें।बस्तियां जली थीं तब।'
' ....और सोनी सिंहासन को मुट्ठी में करने में सफल रही थी।' मुनमुन ने कहा।
' हां री मुन्नी, हां!' चुन चुन अब चौंक गई।
' अब बलि का बकरा खोजा जा रहा है।'
' कौन होगा? कोई नजदीकी ही न?'
' कुल दीपक को तो बचाना ही होगा न,वरना गद्दी होगी किसकी?' मुनमुन राजभरे लहजे में बुदबुदाई।
" मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
आपका आभार आदरणीय लक्ष्मण भाई।
आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन । उत्तम कथा हुई है । हार्दिक बधाई स्वीकारें।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online