मौन सरोवर ....
जुदा न होना
मेरे होकर
कैसे कह दूँ तुम स्वप्न हो
मेरी श्वास का तुम दर्पण हो
बोलो प्रिय
कहाँ गए तुम
मेरी पलक में सपने बो कर
जीवनतल की अकथ कथा तुम
प्रेम पलों की मधुर ऋचा तुम
तुम बिन देखो
सूख न जाएँ
अभिलाषा के मौन सरोवर
अभी यहाँ थे अभी नहीं हो
मेरी क्षुधा की सुधा तुम्हीं हो
जीवन दुर्लभ
तुमको खोकर
तुम अंतस की अमर धरोहर
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय pratibha pandeजी सृजन के भावों पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार। कुछ तकनीकी व्यवधान के चलते मैं आभार व्यक्त न कर सका। इसके लिए क्षमा चाहूंगा। सादर ।
आदरणीय Samar kabeer जी सृजन के भावों पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार। कुछ तकनीकी व्यवधान के चलते मैं आभार व्यक्त न कर सका। इसके लिए क्षमा चाहूंगा। सादर ।
आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी सृजन के भावों पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार। कुछ तकनीकी व्यवधान के चलते मैं आभार व्यक्त न कर सका। इसके लिए क्षमा चाहूंगा। सादर ।
खूबसूरत रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय सुशील सरना जी
आ. भाई सुशील जी, अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।
जनाब सुशील सरना जी आदाब, अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।
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