है मुश्किल आई बड़ी , सारी दुनिया त्रस्त
मिल कर साथ खड़े रहें , कहता है यह वक्त
परमपिता का न्याय तो सबके लिए समान
अरबों के मालिक भले हों कोई श्रीमान
ईश्वर पर विश्वास का व्यर्थ मुलम्मा ओढ़
कर ना भ्रष्टाचार तू , जीवन यह अनमोल
प्रकृति हमें समझा रही , पर हित लें संकल्प
अन्य बचें तब हम बचें , दूजा नहीं विकल्प
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदाब , हार्दिक आभार आपका
मुहतरमा ऊषा अवस्थी जी आदाब,अच्छी रचना हुई है,बधाई स्वीकार करें ।
धन्यवाद वन्दना मिश्रा जी
सुंदर सन्देश
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