For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुप्रभात दोहे 1.

सुप्रभात दोहों से मैं, करती हूँ आगाज |
अधर पर मुस्कान लिए,सरिता बोले आज||

नई सवेर ले आए ,रोज सुखद सन्देश |
पूरी हो हर कामना ,संकट हरे गणेश||

आये कोई विघ्न ना ,सर पर रखना हाथ|
पूरी करना कामना ,हे नाथों के नाथ||

चूम उठाया भोर ने ,ख़ुशी से झूमा दिल| 
सुबह संदेश आपका ,गया जैसे ही मिल||

बन जायेंगे आपके, सारे बिगड़े काम |
थके बिन बढते रहना, मन में धारे राम||

सुबह सुहानी ले आई बरसात की फुहार |
हर कामना पूरण हो खुशियाँ मिलें अपार||


..........मौलिक व अप्रकाशित ..........

Views: 8409

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 10, 2013 at 8:16pm

आये कोई विघ्न ना ,सर पर रखना हाथ|
पूरी करना कामना ,हे नाथों के नाथ||.................सुन्दर दोहा छंद.

Comment by बृजेश नीरज on July 4, 2013 at 10:08pm

भाव बहुत सुन्दर हैं। इस प्रयास पर मेरी बधाई स्वीकारें!
सादर!

Comment by Sarita Bhatia on July 4, 2013 at 1:33pm

आदरणीय गुरुवर अरुण जी बहुत बहुत हार्दिक आभार आपने मेरे लिए समय निकाला ,मुझे सुधार के लिए कहा  

दो  जगह तो मुझे पता था गलती है 

और गलतियों की तरफ ध्यान दिलाने के लिए हार्दिक आभार 

सौरभ sir आपने ठीक कहा 

अब मुझे लगने लगा है कि obo पर मेरा आना सफल हो रहा है ,कृपया निसंकोच गलती निकालें |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 4, 2013 at 11:46am

आदरणीया सरिता जी, आपकी प्रस्तुति के लए बधाई. लेकिन छंदगत प्रस्तुतियों के पूर्व प्रयुक्त छंद के विधान को न जानना रचनाकर्म में हुए प्रयास और लगे समय दोनों की बरबादी होती है.

आदरणीय अरुण भाई जी ने बेहतर सुझाव दिये हैं. ये सुझाव दोहा छंद के मूल नियमों की ओर इंगित करते हैं. आप उन्हें मानें.  आप ओबीओ के भारतीय छंद विधान समूह में दोहा छंद पर उपलब्ध लेख भी देख जायँ. रचनाकर्म में बहुत सहुलियत होगी.

शुभेच्छाएँ

Comment by D P Mathur on July 4, 2013 at 7:56am

आदरणीया सरिता जी, सुप्रभात पर अच्छे दोहे, बधाई.

Comment by vandana on July 4, 2013 at 7:36am

बहुत सुन्दर भाव 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 3, 2013 at 10:49pm
आदरणीया..सरिता जी, सुंदर रचना प्रस्तुति पर आपको बधाई

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on July 3, 2013 at 8:42pm

आदरणीया सरिता भाटिया जी, दोहा छंद पर सुंदर प्रयास हुआ है.बधाई......

कहीं कहीं पर ध्यानाकर्षण चाहूंगा ,यथा....

सुप्रभात दोहों से मैं, करती हूँ आगाज |
अधर पर मुस्कान लिए,सरिता बोले आज||

विषम चरण (दोहों से मैं) के अंत में दीर्घ,लघु,दीर्घ या लघु, लघु लघु  या लघु ,दीर्घ आना  चाहिए | सामान्यत: अधरों पर मुस्कान कहा जाता है .यदि अधरों पर मुस्कान धर कहा जाये तो कैसा रहेगा ?

नई सवेर ले आए ,रोज सुखद सन्देश |
पूरी हो हर कामना ,संकट हरे गणेश||

उपरोक्तानुसार विषम चरण के अंत में "ले आए" पर गौर करें,

चूम उठाया भोर ने ,ख़ुशी से झूमा दिल|
सुबह संदेश आपका ,गया जैसे ही मिल||

सम चरण के अंत में "दीर्घ, लघु" अनिवार्य होता है. दिल व मिल में लघु ,लघु आ रहा है.

बन जायेंगे आपके, सारे बिगड़े काम |
थके बिन बढते रहना, मन में धारे राम||

थके बिन बढते रहना में प्रवाह को देख लीजिए. बिना थके बढ़ते रहें भी किया जा सकता है ?

सुबह सुहानी ले आई बरसात की फुहार |
हर कामना पूरण हो खुशियाँ मिलें अपार||

सुबह सुहानी ले आई में एक तो 14 मात्रायें हैं .दूसरा विषम चरण के अंत में दीर्घ, दीर्घ आ रहा है, बरसात की फुहार में प्रवाह बाधित हो रहा है. हर कामना पूरण हो में भी प्रवाह में रुकावट लग रही है, कृपया देख लें. इन्हीं भावों को क्या ऐसे भी व्यक्त किया जा सकता है ?

सुबह सुहानी आ गई, लेकर मस्त फुहार

पूरी हो हर कामना,खुशियाँ मिलें हजार.

Comment by बसंत नेमा on July 3, 2013 at 5:07pm

आदरणीया सरिता जी .....

नई सवेर ले आए ,रोज सुखद सन्देश |
पूरी हो हर कामना ,संकट हरे गणेश| .................. |बहुत सुन्दर दोहे ............शुभकामनाये 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"मुस्काए दोस्त हम सुकून आली संस्कार आज फिर दिखा गाली   वाहहह क्या खूब  ग़ज़ल '…"
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२ ***** जिनकी ज़बाँ से सुनते  हैं गहना ज़मीर है हमको उन्हीं की आँखों में पढ़ना ज़मीर…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं स्नेह के लिए आभार। आपका स्नेहाशीष…"
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
Wednesday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
Tuesday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। सुंदर, सार्थक और वर्मतमान राजनीनीतिक परिप्रेक्ष में समसामयिक रचना हुई…"
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२/२१२/२१२/२१२ ****** घाव की बानगी  जब  पुरानी पड़ी याद फिर दुश्मनी की दिलानी पड़ी।१। * झूठ उसका न…See More
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service