For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खुशबू समेटने से किसका  हुआ भला   है   

जब-जब चिता जली है, चन्दन वहाँ  जला  है 

 

बैठा रहा तो मुझको खुद से गिला था यारों 

जब चल पड़ा तो सबको हर पल बहुत खला है 

 

अब है किसे पता भी, माहौल कब ये बदले 

हर शख्स देखने में लगता मुझे भला है

 

सुन वो कहाँ रहे थे, चर्चा चली जो मेरी 

बेचैन  हो गए, जब, उनका कहा  भला है  

 

जिसको अजीज़ माना, यूँ दूर ही रहे सब 

जब काम आ पड़ा तो फिर से खलामला है

                     खलामला = मेलजोल

डॉ ललित 

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 607

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ketan Parmar on June 27, 2013 at 9:20pm

BHOT HI KHUB SIRJI KYA KEHNE

Comment by D P Mathur on June 27, 2013 at 8:01pm

आदरणीय ललित सर सादर नमस्कार ,
बैठा रहा तो मुझको खुद से गिला था यारों
जब चल पड़ा तो सबको हर पल बहुत खला है
सुन्दर पंक्तियों में जीवन की सच्चाई छिपी है !

Comment by विजय मिश्र on June 27, 2013 at 6:15pm
बधाई हो ललितजी इस मीठी सी रचना के लिए . बहुत सुंदर लगी .
Comment by अरुन 'अनन्त' on June 27, 2013 at 12:44pm

वाह आदरणीय वाह दमदार ग़ज़ल शानदार अशआर मज़ा आ गया दिली दाद कुबूल फरमाएं.

Comment by रविकर on June 27, 2013 at 10:34am

बहुत खूब -

शुभकामनायें आदरणीय-

Comment by बसंत नेमा on June 27, 2013 at 10:21am

बहुत सुन्दर गजल .. बधाई 

Comment by Dr Lalit Kumar Singh on June 27, 2013 at 4:48am

गीतिका वेदिका जी, जीतेन्द्र पस्तारिया जी और केवल प्रसाद जी का शुक्रिया 

Comment by Dr Lalit Kumar Singh on June 27, 2013 at 4:46am
दिल से शुक्रिया आपका विजय निकोरे जी
Comment by vijay nikore on June 27, 2013 at 3:18am

आ०ललित जी:

अच्छी गज़ल के लिए बधाई।

विजय निकोर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 26, 2013 at 11:10pm

आ0 डा0 ललित जी,  बहुत सुन्दर गजल।  तहेदिल से दाद कुबूल करें।  सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
48 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
4 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
8 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
9 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान की परिभाषा कर्म - केंद्रित हो, वही उचित है। आदरणीय उस्मानी जी, बेहतर लघुकथा के लिए बधाइयाँ…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी दोनों सहकर्मी है।"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service