For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" जी , आपका परिचय ?"
" मुझे 'धर्मनिरपेक्षता' कहते हैं ।"
" बहुत ख़ूब ! आपके साथ ये कौन है ?"
" ये मेरी बड़ी बहन ' राष्ट्रीयता ' है ।"
" लेकिन आपने अपना परिचय नहीं दिया , आप कौन ?"
" मेरा कोई एक परिचय हो तो दूँ । फिर भी कुछ लोग मुझे वादे , नारे , भाषण-राशन , बयानबाज़ी , आशीर्वाद की भूखी 'राजनीति' कहते हैं ।"
राष्ट्रीयता तिलमिलाकर बोली-" सीधे-सीधे क्यों नहीं कहती कि मुझे 'चरित्रहीन' कहते हैं ।"
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Views: 869

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SALIM RAZA REWA on November 5, 2017 at 4:40pm
जनाब आरिफ साहब,
लघुकथा के लिए मुबारक़बाद.
Comment by Dr. Vijai Shanker on November 5, 2017 at 11:03am
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी , बात सिर्फ इतनी सी है कि सिर्फ शब्दों से बात नहीं बनती। एक एक शब्द जो हम व्यवस्था के नाम पर अपनाते हैं उनका हमें सही सही अर्थ मालूम होना चाहिये और उसका प्रयोग उसके सही अर्थ में ही होना चाहिए। शब्द हमारी इच्छा के अनुसार अपने मतलब नहीं बदलते हैं , हमारी यह कोशिश , हो सकता है , कुछ समय के लिए कामयाब हो जाए पर सदैव सफल होगी , संभव नहीं है। हम अभी तक आज़ादी / स्वतंत्रता / स्वाधीनता / स्वेच्छाचारिता को तो सही सही समझ नहीं पाए। अभी भी अक्सर स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में गण्यमान लोग अंतर नहीं कर पाते हैं , धर्मनिरपेक्षता तो कुछ और ही जटिल शब्द है। .... और फिर जब कोई भी शब्द राजनीति में प्रयोग होने लगता है तो उसकी व्यख्या आवश्यकतानुसार बदलती रहती है। हमारे सामने तो सबसे बड़ी चुनौती अभी " लोकतंत्र " ही है , जितने लोगों से मिलिएगा उतने अर्थ मिल जायेगे। वैसे इतिहास के पैन पलटें तो उन्नीसवीं शताब्दी में ही नेपोलियन का सेकुलरिज्म , इंग्लैंड के राजपरिवार का सेक्लारिस्म और आगे आठवें दशक में जर्मनी के बिस्मार्क का सेकुलरिज्म सब एक दूसरे से न्यूनाधिक भिन्न थे। आपके प्रयास और लघु-कथा पर आपको बधाई , सादर।
Comment by Mohammed Arif on November 4, 2017 at 8:11pm
आपकी टिप्पणी से लेखन सार्थक हो गया । बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 4, 2017 at 7:59pm
आपकी एक और सधी हुई कटाक्षपूर्ण बेहतरीन लघुकथा। सादर हार्दिक बधाई और शुभकामनायें आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ साहब।
Comment by Mohammed Arif on November 4, 2017 at 5:57pm
बहुत-बहुत आभार आदरणीय मोहित जी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service